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Chetra Navratri 2023 : नवरात्रि के पांचवें दिन होती है स्कंदमाता की पूजा, भक्तों की पूरी होती है सभी मनोकामनाएं

06:19 PM Mar 25, 2023 IST | Mukesh Kumar

Chetra Navratri 2023 : नवरात्रि के पर्व पर मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की अलग-अलग दिन पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि के सभी दिन मां दुर्गा को समर्पित होता है। बता दें कि नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है, स्कंदमाता की 4 भुजाएं होती हैं। इनके दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमें भी कमल पुष्प हैं। इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है। यह कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी वजह इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। इनका वाहन सिंह है।

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मां स्कंदमाता की पूजा का शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है, बता दे कि चैत्र शुक्ल पंचमी तिथि शुरू 25 मार्च 2023 से दोपहर 4.20 मिनट से शुरू हो जायेगी। इस तिथी की समाप्ति 26 मार्च 2023 को दोपहर 4.30 मिनट पर होगा। इस दिन का शुभ मूहूर्त सुबह 7:52 से लेकर 9:24 के बीच रहेगा, रवि योग के चलते इसे शुभ माना जाता है।

जानिए मां स्कंदमाता की पूजा-विधि
नवरात्रि के पांचवें दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें, पूजा की जगह चौकी पर स्कंदमाता की मूर्ति स्थापित करें, मां की प्रतिमा को गंगाजल से शुध्द करें और मां के सम्मुख पुष्प अर्पित करें, इसके 5 अलग-अलग फलों का भोग लगाएं, इसके साथ इलायची भी भोग में चढ़ाएं। इसके बाद माता को रोली-कुमकुम का तिलक लगाएं और पूजा के बाद मां की आरती उतारें और मंत्र का जाप करें।

स्कंदमाता की कथा

शास्त्रों के अनुसार, कहा जाता हैं कि एक तारकासुर नामक राक्षस था, जिसकी मौत केवल शिव पुत्र कार्तिकेय के हाथों संभव था। तब मां पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) को युद्ध के लिए तैयार करने के लिए स्कंद माता का रूप लिया था। स्कंदमाता से युद्ध संबंधी शिक्षा लेने के बाद कार्तिकेय ने तारकासुर का विनाश किया था।

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