फटाफट बुक करा लें गाड़ियां, 1 अप्रैल से महंगी होंगी कारें, जानिए क्यों?
वाहन निर्माता कंपनियां एक अप्रैल से अपने टू व्हीलर और फॉर व्हीलर वाहनों के दाम बढ़ाने जा रही हैं। अगर आपको सस्ते में गाड़ी खरीदनी है तो आपके पास केवल 5 दिन ही शेष है। कंपनियों का कहना है कि कीमतों में बढ़ोतरी और नए रेग्युलेटरी नियमों को लागू करने के चलते कंपनी की लागत बढ़ी है। जिसकी वजह से कारों के दाम बढ़ाने का फैसला किया गया है। हालांकि, कीमतों में किस तारीख को बढ़ोतरी की जाएगी इसकी अभी कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई है। बता दें कि मारुति कंपनी इस साल दूसरी बार गाड़ियों के दाम बढ़ाने जा रही हैं। इससे पहले साल की शुरुआत यानी जनवरी में पैसे बढ़ाए थे।
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मॉडल के अनुसार बढ़ेंगे गाड़ियों के दाम
मारुति कंपनी का कहना है कि गाड़ियों का दाम बढ़ाने के बावजूद हमारी पहली कोशिश यह रहेगी की ग्राहकों पर कम से कम बोझ झाला जाए। लेकिन कंपनी पर भी लागत का दवाब है, इसलिए वाहनों की कीमतों में बढ़ोतरी करना जरूरी हो गया है। वहीं, इस बढ़ोत्तरी के तहत किस कार की कीमत कितनी बढ़ेगी, इस पर कंपनी का कहना है कि ये उस कार के मॉडल पर निर्भर करेगा।
टाटा की भी महंगी होंगी कारें
बता दें कि होंडा कार्स, टाटा मोटर्स और हीरो मोटोकॉर्प सहित कई कंपनियां अपनी कारों के दाम अप्रैल से बढ़ाने जा रही हैं। खबर है कि 1 अप्रैल से टाटा मोटर्स के कमर्शियल व्हीकल्स के दाम 5% तक बढ़ जाएंगे। टाटा मोटर्स ने कमर्शियल व्हीकल्स के दाम 1 अप्रैल से 5% तक बढ़ाने का ऐलान किया था। वहीं, हीरो मोटोकॉर्प ने भी 1 अप्रैल से अपने कुछ चुनिंदा मॉडल्स की कीमतों में बढ़ोतरी का फैसला किया है। कंपनी ने कहा कि कीमतों में 2% की बढ़ोतरी होगी।
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1 अप्रैल से BS 6 के दूसरे चरण के निमम होंगे लागू
1 अप्रैल से BS-6 के दूसरे चरण के नियम लागू होने जा रहे हैं। कंपिनयां अपनी नई कारों को BS-6 एमिशन नॉर्म्स के दूसरे के मुताबिक ही मॉर्केट में उतारेंगी। नए नियमों के तहत कंपनियों को BS-6 एमिशन की गाइडलाइंस का पालन करना होगा। इससे गाड़ियां फ्यूल एफिशिएंट होंगी और CO2 एमिशन को कम करने में मदद मिलेगी।
जानें क्यों ऑटोमोबाइल कपंनियां बढ़ा रही हैं अपनी गाड़ियों के दाम
इसमें अब ऑन बोर्ड डायग्नोस्टिक (OBD-2) के नियमों को भी जोड़ा गया है। इसके जरिए 1 अप्रैल से कारों में OBD-2 डिवाइस लगाया जाएगा, जिससे गाड़ी के एमिशन लेवल पर नजर रखी जा सकेगी। ऐसी जांच अभी तक लैबोस्ट्री में होती थी। अब इस डिवाइस को कारों में लगाने में 10 हजार से 30 हजार की लागत आएगी। इसी वजह से कारें महंगी हो जाएंगी।