पहले घोड़ों द्वारा चलाई जाती थी बुलडोजर, 100 साल पहले दो किसानों ने किया था इसका आविष्कार
जब से उत्तरप्रदेश में योगी की सरकार आयी है तब से एक नाम सबसे अधिक चर्चित रहा और वो है बुलडोजर। नाम तो इसके और भी कई है लेकिन लोगों को इसका यही नाम सबसे अधिक (History Of Bulldozer) पसंद आया। अब ये नाम इस तरह चर्चा में क्यों आया इससे सभी वाकिफ है, लेकिन सोचने वाली बात यह है कि एक मशीन जिसे मलबा हटाने और अतिक्रमण हटाने के लिए काम में लिया जाता है। अचानक वही मशीन किसी सरकार की पहचान बन जाती है।
इतना ही नहीं उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री को तो बुलडोजर बाबा भी कहा जाने लगा। खेर यहां बात न तो किसी सरकार की है ना ही राज्य की.. बात हो रही है बुलडोजर की, जिसे जेसीबी और क्रॉलर जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। इसका इतिहास भी काफी पुराना रहा है लेकिन इन दिनों इतनी सुर्खियों में रही कि अब बच्चा-बच्चा भी इसके बारे में जानता है। इसलिए आज के कॉर्नर में जानेंगे एक और नया टॉपिक बुलडोजर का इतिहास…
बुलडोजर का इतिहास
शुरुआत में बुलडोजर को खेती से संबंधित कार्यों में ही काम में लिया जाता था, खासतौर पर जुताई के लिए। सबसे पहले बुलडोजर को दो किसानों ने मिलकर डिजाइन किया था। जिनका नाम जेम्स कमिंग्स और ड्राफ्ट्समैन जे. अर्ल मैकलियोड था। दोनों ने मिलकर वर्ष 1923 में बुलडोजर के लिए पहला डिज़ाइन बनाया था। इसके बाद जेम्स और ड्राफ्ट्समैन ने मॉरोविले के कंसास में एक सिटी पार्क में इसकी प्रतिकृति प्रदर्शित की।
18 दिसंबर 1923 को दोनों ने इसका यू.एस. #1,522,378 पेटेंट करवा लिया। शुरुआत में जेसीबी को ट्रैक्टर में जोड़कर काम में लिया गया। 6 जनवरी 1925 को सबसे पहले इसे ट्रैक्टर में जोड़ा (History Of Bulldozer) गया। वर्ष 1920 तक इस तरह के वाहन आम हो गए थे। 1940 के दशक में इसका उपयोग नहरों को खोदने, मिट्टी के बांध बनाने और भारी-भरकम मिट्टी को हटाने के लिया किया जाने लगा।
जेसीबी के बारे में
यह बाकी वाहनों से इसलिए अलग है, क्योंकि यह भारी भरकम वस्तु या मलबे को भी धक्का मारने में सक्षम है। यह मशीन उबड़-खाबड़ रास्तों में भी आसानी से चल जाती है। बुलडोजर को डोजर, क्रॉलर और जेसीबी भी कहा जाता है। जो कि मोटर से चालने वाली मशीन है। इसका मुख्य कार्य निर्माण कार्य के दौरान मिट्टी, रेत, मलबे व चट्टान जैसी सामग्री को हटाना है। मशीन के आगे लगी धातु की ब्लेड मलबा धकेलने के काम आती है।
इसका सबसे खास उपकरण रिपर है, जो कि हुक जैसा दिखाई देता है। इसका उपयोग बड़े से बड़ी सामग्री को हटाने के लिए किया जाता है। इस मशीन का इस्तेमाल सड़क निर्माण, खनन-उत्खनन, खेतों में, भारी उद्योग कारखानों में तथा सैन्य अनुप्रयोगों में किया जाता है।
घोड़ों से खींची जाती थी मशीन
जब इसे बनाया गया था तब एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए घोड़ों और ट्रेक्टर का इस्तेमाल किया जाता था। क्योंकि यह एक स्थान से मुव नहीं कर सकता था। इसका बुलडोजर (History Of Bulldozer) नाम केवल एक मोटर चालित वाहन को संदर्भित करता है। भारी सामान को धक्का देने के लिए इसमें ब्लेड लगा होता है। ब्लेड और रिपर इसके मुख्य उपकरण है।
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