दुनिया का सबसे पुराना खेल है मुक्केबाजी, 675 ईस्वी पूर्व का माना जाता है इसका इतिहास
हमारे देश में कई प्रकार के खेल खेले जाते हैं। इन खेलों में क्रिकेट, बैडमिंटन, हॉकी, फुटबॉल, कबड्डी तथा वॉलीबॉल शामिल हैं। इनके लिए वार्षिक, द्विवार्षिक तथा पंचवर्षीय प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती है। ऐसा ही एक खेल है मुक्केबाजी। इस खेल में दो प्रतियोगी लड़ाई करते हैं। इसे मार्शल कला के रूप में भी जाना जाता है। यह दुनिया का सबसे पुराना खेल है। इसका इतिहास मानव के जन्म के समय से माना जाता है।
आपने अक्सर टेलीविजन पर दो लोगों को मुक्के से लड़ाई करते देखा होगा। इस खेल को बहुत सावधानी से खेला जाता है, क्योंकि जरा सी चूक प्रतियोगी के लिए खतरा बन सकती है। इस खेल के नियम बहुत कड़े होते हैं। इसमें प्रतिभागी दस्ताने पहनकर लड़ते हैं, जिससे कि किसी को चोट ना लगे। इसे केवल बंद मुट्ठी से ही खेला जाता है, खुले हाथ से खेलने पर खिलाड़ी को खेल से बाहर कर दिया जाता है।
तीन प्रकार के फाउल
मुक्केबाज़ी एक प्रकार का लड़ाई का खेल है। इसमें दो लोग अपनी मुट्ठी बांधकर लड़ते हैं। इस खेल का संचालन एक से तीन मिनट के अंतराल पर किया जाता है, इस अंतराल को चक्र कहा जाता है। इस खेल में लड़ने वाले दोनों प्रतियोगियों का वजन एक समान होता है। खेल का संचालन रेफरी द्वारा किया जाता है, जिस तरह क्रिकेट के खेल में अंपायर होता है। उसी तरह मुक्केबाजी में पॉइंट्स की गिनती रेफरी द्वारा की जाती है।
सामान्यत: मुक्केबाजी में तीन तरह से फाउल माना जाता है। पहला यदि विरोधी को गिरा दिया जाता है। दूसरा रेफरी द्वारा दस सेकंड गिनने तक प्रतियोगी नहीं उठता है तो उसे फाउल माना जाता है। इसे नॉक-आउट या KO कहा जाता है। तीसरे प्रकार का फाउल थोड़ा अलग है। यदि ऐसा प्रतीत हो कि विरोधी इतना अधिक घायल हो चुका है कि वह आगे खेल जारी रखने में असमर्थ है। तो फाउल मान लिया जाता है। विजेता की घोषणा रेफरी के निर्णय के बाद किया जाता है।
मुक्केबाजी का इतिहास
इसका इतिहास तीसरी शताब्दी से जुड़ा हुआ है। मुक्केबाजी से जुड़े कई साक्ष्य मिले हैं, जिनसे अनुमान लगाया गया कि तीसरी शताब्दी में भी लोग इस खेल को खेलते थे। ये साक्ष्य सुमेरियाई नक्काशी में चित्रित है। इसके अलावा दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व की प्राचीन मिस्र की नक्काशी में लड़ाकू और दर्शक दोनों ही चित्रित हैं। इन दोनों चित्रों में ऐसे प्रतियोगियों को दर्शाया गया, जिनकी मुट्ठियां बंधी हुई थी। वर्ष 1927 में डॉ. ई. ए. स्पीसर नामक पुरातत्ववेत्ता ने सात हजार वर्ष पुराना एक मेसोपोटेमियाई शिला खण्ड ढूंढा। जिसमें एक प्रतियोगिता के लिए तैयार हो रहे दो पुरुषों को चित्रित किया गया था। इस तरह कई साक्ष्यों में मुक्केबाजी का इतिहास पता चलता है।
बॉक्सिंग का पहला विवरण
मुक्केबाजी को अंग्रेजी में बॉक्सिंग कहा जाता है। बॉक्सिंग का पहला विवरण होमर के इलियड में मिलता है। यह 675 ईस्वी पूर्व का है। बात करें इलियड की तो यह प्राचीन शास्त्रीय महाकाव्य है। जिनकी रचना होमर द्वारा की गई थी। मुक्केबाज़ी को ऑलिम्पिक खेलों में पहली बार 688 ईस्वी पूर्व में शामिल किया गया था। इसे पाइगेम या पिग्माशिया कहा जाता था। इसके लिए प्रतिभागियों को पंचिंग बैग पर प्रशिक्षण दिया जाता था।