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कुलदीप बिश्नोई और नितिन पटेल को राजस्थान चुनावों में जिम्मेदारी, क्या फायदा...कितना नुकसान?

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी को प्रदेश चुनाव प्रभारी और नितिन पटेल और कुलदीप बिश्नोई को सह-चुनाव प्रभारी बनाया है.
12:35 PM Jul 08, 2023 IST | Avdhesh
कुलदीप बिश्नोई और नितिन पटेल को राजस्थान चुनावों में जिम्मेदारी  क्या फायदा   कितना नुकसान

जयपुर: राजस्थान विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी की राज्य इकाई में लगातार नियुक्तियों और नए चेहरों के आने का सिलसिला जारी है. इस बीच बीजेपी आलाकमान ने शुक्रवार को चुनावों के लिए प्रभारी और सह-प्रभारी के नामों का ऐलान कर दिया जहां बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी को प्रदेश चुनाव प्रभारी और नितिन पटेल और कुलदीप बिश्नोई को सह-चुनाव प्रभारी बनाकर भेजा है.

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अब ये तीनों नेता राजस्थान में चुनावों को लेकर बीजेपी में एकजुटता और आपसी तालमेल की कड़ियां मजबूत करेंगे. दरअसल बीजेपी ने 3 चेहरे उतारे हैं जिनकी नियुक्ति सियासी समीकरणों के लिहाज से काफी अहम मानी जा रही है जहां जोशी ने प्रभारी बनने के बाद कहा कि राजस्थान में चुनावों का नैरेटिव सेट करने के साथ ही वह आपसी मतभेदों को संवाद से सुलझाने की कोशिश करेंगे.

इसके अलावा कांग्रेस से निकाले गए कुलदीप बिश्नोई को बीजेपी ने चुनावों से पहले बड़ी जिम्मेदारी दी है जहां उनके जरिए राजस्थान में बिश्नोई समुदाय के वोटबैंक को साधने के तौर पर देखा जा रहा है. वहीं नितिन पटेल गुजरात के मेहसाणा से विधायक रहे हैं जिन्हें आदिवासी और ओबीसी सीटों पर लगाया जा सकता है. इसके साथ ही गुजरात से लगी राजस्थान की आदिवासी सीटों पर भी बीजेपी की नजर बनी हुई है. बताया जा रहा है कि बिश्नोई और पटेल को राजस्थान की 70 सीटों पर फोकस करने का टास्क मिला है.

बिश्नोई को मिली बड़ी जिम्मेदारी

कुलदीप बिश्नोई राजस्थान के पड़ोसी राज्य हरियाणा से आते हैं और बिश्नोई समाज में उनकी काफी पैठ है. कुलदीप हरियाणा से दो बार सांसदी का चुनाव जीतने के साथ ही वह कई बार विधायक भी रहे हैं. माना जा रहा है कि हरियाणा से लगी विधानसभा सीटों के अलावा राजस्थान में 30 अधिक बिश्नोई समाज के वोटबैंक वाली सीटों पर बिश्नोई पार्टी के लिए लाभदायक साबित हो सकते हैं.

मालूम हो कि कुलदीप कांग्रेस के पुराने सिपाही रहे हैं जहां से निकाले जाने के बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थामा था. वहीं राजस्थान में अच्छी खासी संख्या में बिश्नोई समुदाय के लोग रहते हैं और सीएम गहलोत के गृह जिले जोधपुर समेत पश्चिम राजस्थान में बिश्नोई समुदाय चुनावों के नतीजों को बदलने का दम रखते हैं. हालांकि समाज से जुड़े लोग कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक रहे हैं.

आदिवासियों को लुभाएंगे पटेल

वहीं गुजरात से सटी राजस्थान की आदिवासी और ओबीसी बाहुल्य सीटों पर नितिन पटेल को कमान दी जा सकती है जहां गुजरात से सटी राजस्थान की सीटों के लिए नितिन पटेल को लाया गया है. इसके अलावा गुजरात बॉर्डर के आदिवासी इलाकों में पटेल के जरिए वोटबैंक को साधने की कोशिश होगी.

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