बीकानेर व जोधपुर स्टेशन को मिला ‘इट राइट स्टेशन’ का दर्जा, अब यात्रियों को मिलेगी जायकेदार खाने की सुविधा
जयपुर। उत्तर पश्चिम रेलवे के जयपुर, अजमेर, अलवर व गांधीनगर स्टेशन के बाद अब जोधपुर और बीकानेर स्टेशन को ‘इट राइट स्टेशन’ का दर्जा दिया गया है। इसके साथ ही अब यात्रियों को इन स्टेशनों पर भी जायकेदार खाने की सुविधा मिल सकेगी। यात्रियों को बेहतर गुणवत्ता वाला खाना दिया जाएगा। बीकानेर स्टेशन पर प्याज की कचोरी और जोधपुर स्टेशन पर मिर्ची वड़े के साथ ही अन्य लजीज व्यंजनों का यात्री लुत्फ उठा सकेंगे। एफएसएसएआई की तरफ से यह प्रमाण पत्र दिया गया। उत्तर पश्चिम रेलवे के छह स्टेशनों को ‘इट राइट स्टेशन’ का सर्टिफिकेट मिल चुका है।
खाद्य सुरक्षा नियमों के अनुसार लगभग 8 माह से चरणबद्ध तरीके से एफएसएसएआई टीम और उत्तर पश्चिम रेलवे की टीम के प्रयासों से यह प्रमाण प्राप्त हुआ है। उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शशि किरण ने बताया कि खान-पान सेवाओं की मानक गुणवत्ता के लिए उपरोक्त स्टेशनों को चयनित कर सभी एफबीओ को सूचीबद्ध किया गया। सभी एफबीओ के पास एफएसएसएआई खाद्य लाइसेंस-रजिस्ट्रेशन की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। सभी सुपरवाइजर व फूड हैंडलर को हाइजीन, स्वच्छता, न्यूट्रीशनल, फूड वैल्यू, टेम्परेचर मेंटेनेंस, हेल्दी व सीजनल फूड की उपलब्धता सहित अन्य बिन्दुओं के अनुसार प्रशिक्षण दिया गया है। उन्हें फोस्टेक प्रशिक्षण के सर्टिफिकेट भी दिए गए हैं। प्री-ऑडिट व फाइनल ऑडिट के बाद ‘इट राइट स्टेशन’ का दर्जा दिया गया है।
यात्रियों को मिलता है सीधा फायदा
इट राइट स्टेशन का प्रमाण पत्र जारी होने के बाद उसका यात्रियों को सीधा फायदा मिलता है। स्टेशनों पर स्वच्छ वातावरण के साथ ही गुणवत्ता पूर्ण भोजन की सुविधा मिलती है। इससे यात्रियों को खान-पान की श्रेष्ठ सुविधाओं के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता। स्टेशन पर ही यात्री इन सुविधाओं का उपयोग करते हुए अपनी यात्रा को आसान बना सकते हैं। वहीं बेहतर गुणवत्ता के भोजन की तलाश में स्टेशन से दूर जाने पर ट्रेन छूटने या अन्य परेशानियों से भी निजात मिलती है।
योग्यताओं के आधार पर प्रमाण पत्र
किसी भी स्टेशन को इट राइट स्टेशन का प्रमाण पत्र वहां की व्यवस्थाएं जांचने के बाद दिया जाता है। स्टेशन पर साफ-सफाई, वहां मिलने वाली खाद्य सामग्री, उसकी गुणवत्ता, स्वाद सहित अन्य पहलुओं को गहराई से परखने के बाद इट राइट स्टेशन का प्रमाण पत्र दिया जाता है। वहां की स्टॉल्स का भी सर्वे किया जाता है। वहां के फूड सैंपल लिए जाते हैं। इसके बाद विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद किसी स्टेशन को यह तमगा हासिल होता है।
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