पेपर लीक मामले में बड़ा एक्शन….गिरफ्तारी के 9 महीने बाद RPSC मेंबर बाबूलाल कटारा सस्पेंड, जानें-बर्खास्तगी में देरी क्यों?
RPSC paper leak case : जयपुर। गहलोत राज में हुए पेपर लीक मामलों को लेकर प्रदेश की भजनलाल सरकार सत्ता में आने के बाद से लगातार एक्शन मोड में है। वहीं, अब राज्यपाल कलराज मिश्र ने पेपर लीक मामले को लेकर बड़ा एक्शन लिया है। राज्यपाल कलराज मिश्र ने शुक्रवार शाम आदेश जारी कर राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) सदस्य बाबूलाल कटारा को सस्पेंड कर दिया है। राजनीतिक-प्रशासनिक इतिहास की बात करें तो राजस्थान में पहली बार ऐसा हुआ है जब भ्रष्टाचार मामले में संवैधानिक आयोग के किसी सदस्य को हटाया गया है।
राज्यपाल कलराज मिश्र ने शुक्रवार शाम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 317 के उपबंध (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए कदाचार के आधार पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को निर्देश किए जाने के बाद आरपीएससी मेंबर बाबूलाल कटारा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। बता दें कि कटारा की गिरफ्तारी के 9 महीने बाद अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद राज्यपाल ने यह कार्रवाई की है।
आखिर बर्खास्त करने में क्यों लगे 9 महीने?
ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर कटारा को बर्खास्त करने में इतनी देरी क्यों हुई और बर्खास्ती का क्या प्रोसेस होता है? बता दें कि सीनियर टीचर भर्ती पेपर लीक मामले में एसओजी ने बाबूलाल कटारा को 18 अप्रैल को गिरफ्तार किया था, तभी से वह जेल में बंद है। प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार ने कटारा को पद से हटाने के लिए मई 2023 में सिफारिश की थी। साथ ही कटारा को हटाने के लिए राज्यपाल के जरिये रेफरेंस तैयार कर राष्ट्रपति को भेजा गया। इसके बाद राष्ट्रपति उसे सुप्रीम कोर्ट के जज को भेजा। सुप्रीम कोर्ट के जज द्वारा उसको रिकमंड के बाद अब आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा को हटाने के आदेश जारी किए गए है।
60 लाख रुपए पेपर बेचने का आरोप
डूंगरपुर जिले के रहने वाले बाबूलाल कटारा ने 15 अक्टूबर 2020 में आरपीएससी के सदस्य का कार्यभार संभाला था। बाबूलाल कटारा ने ही 24 दिसंबर 2022 को होने वाली सीनियर टीचर भर्ती परीक्षा का पेपर अक्टूबर में लीक कराया था। बाबूलाल कटारा ने मास्टरमाइंड शेरसिंह मीणा को 60 लाख रुपए में पेपर बेचा था। इसके बाद एसओजी ने कटारा के साथ-साथ उसके भांजे विजय कटारा व ड्राइवर गोपाल सिंह को भी गिरफ्तार किया था। एसीबी ने पड़ताल में माना कि कटारा ने आय से दो करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति अर्जित की है।
कौन है बाबूलाल कटारा?
डूंगरपुर जिले के मालपुर गांव में रहने वाला बाबूलाल कटारा 2 नवंबर 1987 को थर्ड ग्रेड शिक्षक बना था। इसके बाद वह साल 1990 में अर्थशास्त्र का व्याख्याता बना था। साल 1991 में बाबूलाल कटारा जिला सांख्यिकी अधिकारी बना और डूंगरपुर व बाड़मेर में काम किया। इसके अलावार साल 1994 से 2005 तक भीम, राजसमंद, खैरवाड़ा, डूंगरपुर, सागवाड़ा, सुमेरपुर और उदयपुर में काम किया। कटारा ने साल 2013 में सचिवालय में आयोजना विभाग संयुक्त निदेशक के अलावा उदयपुर में आदिम जाति शोध संस्थान निदेशक के पद पर भी रहा। इसके बाद आरपीएससी के मेंबर के रूप में सरकार ने नियुक्ति दी थी।