नहीं चढ़नी पड़ेंगी 365 सीढ़ियां…3 मिनट में पहुंचेंगे गढ़ गणेश, 2 साल में बनकर तैयार हो जाएगा रोप-वे
Garh Ganesh temple Ropeway : जयपुर। छोटी काशी के नाम से विख्यात गुलाबी नगरी में आने वाले दिनों में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। गुरुवार को देश के एकमात्र बिना सूंड वाले बालरूप भगवान गणेश के दर्शनों के लिए ब्रह्मपुरी स्थित नाहरगढ़ की पहाड़ी पर विराजमान प्राचीन गढ़ गणेश मंदिर में रोप वे के निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ है।
मंदिर महंत प्रदीप औदिच्य और महेश मेहता सहित प्रमुख संतों ने रोप वे का भूमि पूजन और शिलान्यास किया। रोप वे कंपनी के प्रबंधक निदेशक नितेश चौधरी और मदन लाल बाजिय ने बताया कि प्राकृतिक वादियों के बीच किले में स्थित मंदिर में रोप वे बनने से भक्तों को काफी मदद मिलेगी।
अभी लगते हैं 40 से 60 मिनट
महंत प्रदीप औदिच्य ने बताया कि वर्तमान समय में 365 से अधिक खड़ी सीढ़ियां चढ़ने में भक्तों को लगभग 40 से 60 मिनट का समय लगता है। लंबे समय से यह प्रयास था कि रोप वे बने। अब भक्तों को काफी आसानी होगी। महेश मेहता ने बताया कि इसमें सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों, बुजुर्ग और विशेष योग्यजनों को होती हैं। ऐसे में नीचे से ही भगवान श्रीगणेश के हाथ जोड़कर पूजा-अर्चना करते हैं।
आचार संहिता की वजह से साधारण रहा आयोजन
रोप वे के निर्माण के लिए हुए भूमिपूजन में लोगों ने स्थानीय विधायक को भी आमंत्रित किया था, लेकिन आदर्श आचार संहिता के कारण निर्वाचन विभाग की टीम ने कार्यक्रम का आयोजन बड़ा नहीं होने दिया। वहीं, क्षेत्रवासियों ने रोप वे के निर्माण के लिए स्थानीय विधायक और मंत्री महेश जोशी का आभार जताया। लोगों ने कहा कि गढ़ गणेश के लिए इस रोप वे का निर्माण किए जाने से खासकर बुजुर्गों और बच्चों को मंदिर में दर्शन के लिए जाने में सुविधा होगी।
9 करोड़ रुपए आएगी लागत
बता दें कि आटोमैटिक रोप वे की लागत नौ करोड़ रुपए आएगी और दो साल में काम पूरा होगा। ब्रह्मपुरी स्थित नहर के गणेश जी के मंदिर से लेकर गढ़ गणेश मंदिर के बाहर तक 350 मीटर की दूरी परछह ट्रॉलियों के जरिए महज तीन मिनट में सफर तय किया जाएगा। खास बात ये है कि एक घंटे में 500 से ज्यादा यात्री आ-जा सकेंगे।
दर्शनों के लिए आने वाले भक्तों के समय की बचत होगी और बुजुर्गों को सहुलियत मिलेगी। सामोद वीर हनुमान जी, खोले के हनुमान जी के बाद तीसरा रोप वे होगा। नाहरगढ़ और जयगढ़ के पास 18वीं सदी में जयपुर स्थापना से पहले सवाईमानसिंह द्वितीय ने अश्वमेघ यज्ञ के लिए गढ़ गणेश मंदिर बनवाया था। हर बुधवार को यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा रहता है।
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