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BharOS: एप्पल और आईओएस की उड़ी नींद! स्वदेशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम 'भरोस' हुआ लॉन्च

BharOS: स्वदेशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम भरोस (BharOS) का मंगलवार को परीक्षण किया गया। इसे IIT Madras के इनक्यूबेटेड फर्म ने विकसित किया है।
01:22 PM Jan 24, 2023 IST | ISHIKA JAIN
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BharOS: नई दिल्ली। स्वदेशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) भरोस (BharOS) का मंगलवार को परीक्षण किया गया। यह परिक्षण केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने किया। इस मोबाइल ओएस को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT Madras) के इनक्यूबेटेड फर्म ने विकसित किया है। वहीं इस सॉफ्टवेयर को कमर्शियल ऑफ-द-शेल्फ हैंडसेट पर इंस्टॉल किया जा सकता है।

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अश्विनी वैष्णव ने कही ये बात

इस सॉफ्टवेयर के परिक्षण के बाद मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस सफर में मुश्किलें आएंगी और दुनिया भर में ऐसे कई लोग हैं जो मुश्किलें लेकर आएंगे और नहीं चाहेंगे कि ऐसा कोई सिस्टम सफल हो। इसलिए हमें बहुत सावधानी और लगातार प्रयत्न से इसे सफल बनाने की ओर काम करना है। केंद्रीय मंत्री ने भरोस को भारत का भरोसा बताया है।

क्या है BharOS?

आपको बता दें कि BharOS एक स्वदेशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है। जिसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT Madras) के इनक्यूबेटेड फर्म द्वारा विकसित किया गया है। भरोस को लेकर दावा किया जा रहा है कि इससे भारत के 100 करोड़ मोबाइल फोन यूजर्स को लाभ पहुंचेगा। वहीं इस ओएस की खास बात यह है कि यह हाईटेक सिक्योरिटी और प्राइवेसी के साथ आता है। यानी इस मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम में यूजर्स को उनकी जरूरतों के अनुरूप एप चुनने और उपयोग करने के लिए अधिक स्वतंत्रता और कंट्रोल मिलता है। BharOS को कमर्शियल ऑफ-द-शेल्फ डिवाइस पर इंस्टॉल किया जा सकता है। साथ ही भरोस नो डिफॉल्ट एप्स (NDA) के साथ आता है। जिसका अर्थ है कि यूजर्स को उन एप्स का उपयोग करने के लिए मजबूर नहीं किया जाता, जिनसे वे परिचित नहीं है या जिन्हें वे सिक्योरिटी के लिहाज से सुरक्षित नहीं मानते हैं।

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जानिए कितना सुरक्षित है BharOS?

जानकारी के मुताबिक भरोस संगठन-विशिष्ट प्राइवेट एप स्टोर सर्विस (PASS) से विश्वसनीय एप्स को ही एक्सेस देता है। दरअसल PASS उन एप्स को ही क्यूरेटेड लिस्ट तक पहुंचने की अनुमति देता है, जिन्हें पूरी तरह से जांचा गया है। पहले यह सुनिश्चित किया जाता है कि एप्स ऑर्गेनाइजेशन के सिक्योरिटी और गोपनीयता स्टैंडर्ड को पूरा करता है या नहीं। इसका मतलब है कि यूजर्स आश्वस्त हो सकते हैं कि वे अपने डिवाइस में जो एप इंस्टॉल कर रहे हैं वे उपयोग करने के लिए सुरक्षित हैं या नहीं।

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