होमइंडिया
राज्य | राजस्थानमध्यप्रदेशदिल्लीउत्तराखंडउत्तरप्रदेश
मनोरंजनटेक्नोलॉजीस्पोर्ट्स
बिज़नेस | पर्सनल फाइनेंसक्रिप्टोकरेंसीबिज़नेस आईडियाशेयर मार्केट
लाइफस्टाइलहेल्थकरियरवायरलधर्मदुनियाshorts

लोकसभा में 3 नए आपराधिक कानून बिल पारित, अमित शाह बोले- PM मोदी मिटा रहे गुलामी के निशान

05:52 PM Dec 20, 2023 IST | Sanjay Raiswal

Bharatiya Nyaya Sanhita : संसद के शीतकालीन शत्र के दौरान बुधवार (20 दिसंबर) को आपराधिक कानून संशोधन से जुड़े तीन नए बिल लोकसभा से पास हो गए हैं। इससे पहले बुधवार को इन बिलों पर चर्चा हुई। नए कानून में आतंकवाद, महिला विरोधी अपराध, देश द्रोह और मॉब लिंचिंग से संबधित नए प्रावधान पेश किए गए। मोदी सरकार CrPC , IPC की जगह भारतीय न्याय संहिता बिल-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य बिल- 2023 लेकर आई है। नए बिल को लेकर लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि मोदी सरकार अंग्रेजों के जमाने के कानूनों में बदलाव कर रही है। बता दें कि ये तीनों बिल ऐसे समय में पास हुए हैं, जब संसद के 143 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। इनमें से 97 सासंद लोक सभा के हैं, जबकि 46 राज्य सभा के हैं।

सदन में नए बिल को लेकर गृह मंत्री ने दिया ये जवाब…

गृहमंत्री अमित शाह ने आपराधिक न्याय प्रणाली से संबंधित तीन नये विधेयकों पर लोकसभा में चर्चा पर जवाब देते हुए कहा, 'नए कानून व्यक्ति की स्वतंत्रता, मानव के अधिकार और सबके साथ समान व्यवहार के तीन सिद्धांतों के आधार पर बनाए जा रहे हैं। आजादी के बाद पहली बार अपराध न्याय प्रणाली से जुड़े तीनों कानूनों का मानवीकरण होगा।'

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि 'मॉब लिंचिंग' घृणित अपराध है और नए कानून में इस अपराध में फांसी की सजा का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि मैंने तीनों विधेयकों को गहनता से पढ़ा है और इन्हें बनाने से पहले 158 परामर्श सत्रों में भाग लिया है।

गृहमंत्री ने बताया कि पहले रेप की धारा 375, 376 थी, अब जहां से अपराधों की बात शुरू होती है उसमें धारा 63, 69 में रेप को रखा गया है। गैंगरेप को भी आगे रखा गया है। बच्चों के खिलाफ अपराध को भी आगे लाया गया है। मर्डर 302 था, अब 301 हुआ है। गैंगरेप के आरोपी को 20 साल तक की सजा या जिंदा रहने तक जेल का प्रावधान है।

लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'CrPC में 484 धाराएं थीं, इसमें अब 531 धाराएं होंगी। 177 धाराओं में बदलाव किए गए हैं और 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं। 39 नई उपधाराएं और 44 नए प्रावधान जोड़े गए हैं।'

बता दें कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम विधेयक अगस्त में लोकसभा में पेश किए गए थे। ये क्रमशः आपराधिक प्रक्रिया संहिता अधिनियम, 1898, भारतीय दंड संहिता, 1860 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को रिप्लेस करने के लिए लाए गए हैं।

हालांकि बाद में उन्हें वापस ले लिया गया और उन्हें समीक्षा के लिए बीजेपी सांसद बृज लाल की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा गया। विशेषज्ञों और स्टेकहोल्डर्स से परामर्श करने के बाद पिछले सप्ताह लोकसभा में नये बिल पेश किए गए।

भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 बिल को लेकर सरकार ने दावा किया है कि आपराधिक कानून से जुड़े ये 3 बिल जन-केंद्रित हैं और उनका मुख्य उद्देश्य नागरिकों के संवैधानिक, मानवीय और व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करना है। गृह मंत्री शाह ने यह भी कहा है कि ब्रिटिश शासन के दौरान लाए गए कानूनों के विपरीत, इन तीन बिल का उद्देश्य सजा देने के बजाय न्याय देना है।

पिछले हफ्ते जब ये बिल पेश किए गए थे, तब कांग्रेस के फ्लोर लीडर अधीर रंजन चौधरी ने सरकार से तीनों बिलों को एक संयुक्त चयन समिति को भेजने के लिए कहा था। लेकिन, गृह मंत्री अमित शाह ने इससे इनकार कर दिया था और इस बात पर जोर दिया था कि ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने उनकी समीक्षा की है।

लोकसभा और राज्यसभा से रिकॉर्ड 143 विपक्षी सांसद निलंबित…

बुधवार, 20 दिसंबर को लोकसभा से दो और सांसद निलंबित किए गए। स्पीकर ने सी थॉमस और ए एम आरिफ को संसद सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया। इस तरह से निलंबित सांसदों की संख्या 143 तक पहुंच गई है। मंगलवार को लोकसभा से 49 सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था। इससे एक दिन पहले सोमवार को लोकसभा से 33 और राज्यसभा से 45 सांसदों को निलंबित किया गया था। वहीं 14 दिसंबर को लोकसभा से 13 और राज्यसभा से एक सांसद को निलंबित किया गया।

Next Article