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भजनलाल सरकार का नए जिले बनाने से इनकार…आचार संहिता से पहले घोषित इन जिलों की अधिसूचना अटकी

राजस्व मंत्री हेमंत मीणा ने विधानसभा में एक सवाल के जवाब में साफ कहा है कि नए जिलों पर बनी समिति भंग की जा चुकी है। नए जिलों के संबंध में अभी कोई विचार नहीं है।
09:51 AM Jan 25, 2024 IST | Anil Prajapat
भजनलाल सरकार का नए जिले बनाने से इनकार…आचार संहिता से पहले घोषित इन जिलों की अधिसूचना अटकी

Bhajanlal government : जयपुर। राजस्थान विधानसभा सत्र में प्रश्नकाल के दौरान बुधवार को पक्ष व विपक्ष में जमकर जुबानी जंग चली। सदन की कार्रवाई की शुरुआत में विधानसभा में बुधवार को गत दिनों दिवंगत हुए सदन के पूर्व सदस्य मोहम्मद जहूर के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस दौरान सदस्यों ने दो मिनट का मौन रखा गया। इसके बाद शुरु हुई कार्रवाई में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष के कई विधायकों ने सरकार से सवाल पूछे।

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कार्रवाई में सबसे अहम चर्चा सरकार का नए जिले बनाने को लेकर था। राजस्व मंत्री हेमंत मीणा ने विधानसभा में एक सवाल के जवाब में साफ कहा है कि नए जिलों पर बनी समिति भंग की जा चुकी है। नए जिलों के संबंध में अभी कोई विचार नहीं है। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले घोषित तीन नए जिले मालपुरा, सुजानगढ़ और कुचामन सिटी की अधिसूचना भी अटक गई है।

देवली-उनियारा से कांग्रेस विधायक हरीश मीणा के सवाल के जवाब में राजस्व मंत्री हेमंत मीणा ने कहा कि 6 अक्टूबर 2023 को तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत ने मालपुरा, सुजानगढ़ और कुचामनसिटी को नया जिला बनाने की घोषणा की थी। 7 अक्टूबर को कैबिनेट ने मंजूरी दी और इन जिलों का सीमांकन करने के लिए हाई पावर कमेटी को निर्देशित किया।

हाई पावर कमेटी से सिफारिश नहीं मिलने से राजस्व विभाग ने तीन जिलों की अधिसूचना जारी नहीं की। तीनों जिलों के गठन और सीमाकंन करने या नहीं करने के बारे में हाई लेवल पर विचार विमर्श के बाद ही फैसला लिया जाना संभव होगा। नए जिलों के लिए बनाई कई हाई पावर कमेटी को 18 दिसंबर को खत्म किया जा चुका है।

जूली ने पूछा-ओपीएस पर सरकार की मंशा क्या? 

वहीं, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने ओल्ड पेंशन स्कीम खत्म कर न्यू पेंशन स्कीम लागू करने की आशंका जताते हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। जूली ने कहा कि कृषि विभाग में हाल ही में रसायन अधिकारी की भर्ती के नियुक्ति पत्र में ओपीएस की जगह एनपीएस का आदेश निकाल दिया। इस आदेश को बाद में वापस भी ले लिया।

यह तो साफ है कि इस सरकार में दिल्ली से पर्ची आती है। बिना सदन में रखे इतना बड़ा निर्णय कै से ले रही है सरकार। यह सरासर सदन का अपमान है। इस प्रकार से आप कोई भी नई स्कीम लागू नहीं कर सकते। ऐसे आदेश निकल जाते हैं। वापस भी हो जाते हैं। ‘पर्ची सरकार’ तो सुनी थी, अब ‘ढीली सरकार’ भी हो गई। गहलोत सरकार ने ओपीएस लागू की। कर्मचारी वर्ग जानना चाहता है कि सरकार की मंशा क्या है? एनपीएस लागू करना चाहते हैं या ओपीएस।

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