रक्षाबंधन पर्व को लेकर असमंजस की स्थिति! भाई-बहन के अमर स्नेह की ‘डोर’ पर दिनभर भद्रा का साया
(गोपाल शर्मा) : जयपुर। भाई-बहन के अमर स्नेह के पर्व रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) में इस बार भद्रा का खलल है। इसके चलते जनमानस में असमंजस की स्थिति है। शास्त्रों के अनुसार रक्षाबंधन श्रावण माह की अपराह्र व्यापनी भद्रा रहित पूर्णिमा तिथि में मनाने का विधान है। इस बार 30 अगस्त को अपराह्न व्यापनी पूर्णिमा रहेगी। इस दिन पूर्णिमा सुबह 10.58 बजे से शुरू होगी जो कि 31 अगस्त को सुबह 7.05 बजे तक रहेगी।
वहीं, 30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि शुरू होने के साथ ही भद्रा भी लग जाएगी जो रात 9.01 बजे तक रहेगी। ऐसे में 30 अगस्त को भद्रा के बाद रक्षा बंधन पर्व मनाया जा सकेगा। वहीं, ज्याेतिषियों की राय में भद्रा युक्त पूर्णिमा में रक्षा बंधन शुभ नहीं है।
ऐसे में भद्रा के बाद रात्रि 9 बजे बाद या 31 अगस्त को रक्षा बंधन मनाना श्रेष्ठ रहेगा। 31 अगस्त को पूर्णिमा सुबह 7:05 बजे तक रहेगी जो कि उदियात तिथि होने से पूरे दिन मानी जाएगी। ऐसे में 31 अगस्त को रक्षाबंधन पर्वपूरे दिन मनाया जा सकता है।
रक्षाबंधन में भद्रा टालना जरूरी
धर्म ग्रंथों के अनुसार रक्षाबंधन पर्व में भद्रा के समय को टालना आवश्यक बताया गया है। ज्योतिषि पं. गोविन्द शर्मा ने बताया कि धर्मग्रंथों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि रावण की बहन शूर्पणखा ने रावण को भद्रा काल में राखी बांधी थी। इससे उसका पूरे वंश सहित विनाश हो गया था। इसलिए इस पर्व में भद्रा को टालना जरूरी बताया है।
पृथ्वी लोक की भद्रा अनिष्टकारी
ज्योतिषि पं. गिरधारी शर्मा ने बताया कि इस बार रक्षाबंधन पर्व पर भद्रा पूरे दिन रहेगी। भद्रा का वास पाताल लोक, पृथ्वी लोक और स्वर्गलोक में बताया है। जनमानस पर पाताल और स्वर्गलोक की भद्रा का ज्यादा असर नहीं पड़ता, लेकिन पृथ्वी लोक की भद्रा का पूरे जनमानस पर असर पड़ता है। इसलिए पृथ्वी लोक की भद्रा को रक्षा बंधन के पर्व में नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। इस बार रक्षाबंधन पर्व पर भद्रा का साया बना हुआ है। ऐसे में रक्षाबंधन पर्व 30 अगस्त को रात्रि 9:01 बजे बाद या 31 अगस्त को मनाना श्रेष्ठ रहेगा।
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