होमइंडिया
राज्य | राजस्थानमध्यप्रदेशदिल्लीउत्तराखंडउत्तरप्रदेश
मनोरंजनटेक्नोलॉजीस्पोर्ट्स
बिज़नेस | पर्सनल फाइनेंसक्रिप्टोकरेंसीबिज़नेस आईडियाशेयर मार्केट
लाइफस्टाइलहेल्थकरियरवायरलधर्मदुनियाshorts

हिंदू हो या मुस्लिम तेली, राज्य के सभी विभाग तेली अभ्यर्थियों को ओबीसी वर्ग में करें शामिल

11:00 AM Feb 20, 2025 IST | Nizam Kantaliya

Teli Candidates in OBC Category: राजस्थान हाईकोर्ट ने मुस्लिम तेली जाति को लेकर ऐतिहासिफ फैसला दिया है. राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने सतार खान की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि तेली जाति का अभ्यर्थी वो चाहे हिंदू हो या फिर मुस्लिम उसें राजस्थान में ओबीसी वर्ग में शामिल किया जाएगा. राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने फैसले में राज्य के मुख्य सचिव और सभी विभागो के लिए एक जनरल मेंडामस आदेश भी जारी किया है. आदेश जारी करते हुए कहा है कि किसी भी मुस्लिम तेली अभ्यर्थी को ओबीसी वर्ग के लाभ से वंचित नहीं किया जाए.

याचिकाकर्ता सतार खान की याचिका पर फैसला

याचिकाकर्ता सतार खान की ओर से अधिवक्ता डी पी शर्मा ने पैरवी करते हुए अदालत को बताया कि दौसा जिला परिषद ने याचिकाकर्ता के नरेगा रोजगार सहायग के पद पर चयन को सिर्फ इस आधार पर रद्द किया है कि क्योंकि वह मुस्लिम तेली जाति से है. जिला परिषद ने मुस्लिम तेली जाति को ओबीसी वर्ग में शामिल नहीं माना हैं. जबकि राजस्थान सरकार के गजट नोटिफिकेशन 6 अगस्त 1994 और 28 अगस्त 2009 के अनुसार तेली जाति को ओबीसी वर्ग में माना हैं. फिर वो चाहे मुस्लिम हो या फिर हिंदू.

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि परंपरागत रूप से तेली जाति के लोग ना केवल भारत में बल्कि पाकिस्तान और नेपाल में भी खाद्य तेल उत्पादन के कार्य से जुड़े होते है.जिन्हे हम रोशनदार और तेली मलिक के नाम से भी जानते हैं.

दौसा जिला परिषद के आदेश रद्द

राजस्थान हाईकोर्ट ने दौसा जिला परिषद के आदेश को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता को आदेश दिए है कि वह अपने सभी दस्तावेजों के साथ एक माह में जिला परिषद में आवेदन पेश करें. हाईकोर्ट ने जिला परिषद दौसा को भी आदेश दिए है याचिकाकर्ता के दस्तावेजों के साथ आवेदन करने पर अगले दो माह में इस आवेदन पर मेरिट के अनुसार निर्णय करें.

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अगर याचिकाकर्ता इस नियुक्ति के लिए योग्य पाया जाता है तो उसे रोजगार सहायक के पद पर रिस्टोर करते हुए उसके सभी परिलाभ भी प्रदान किए जाए. राजस्थान हाईकोर्ट के इस फैसले की पालना के लिए आदेश की एक प्रति राज्य के मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को भेजने के आदेश दिए है.

Next Article