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बसंत पंचमी पर करें मां सरस्वती की पीले फूलों से पूजा,ब्रह्माजी के मुख से हुई थी प्रकट

माघ महिने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है। बसंत पंचमी को ज्ञान पंचमी या श्री पंचमी भी कहा जाता है।
04:47 PM Jan 20, 2023 IST | BHUP SINGH
बसंत पंचमी पर करें मां सरस्वती की पीले फूलों से पूजा ब्रह्माजी के मुख से हुई थी प्रकट

माघ महिने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है। बसंत पंचमी को ज्ञान पंचमी या श्री पंचमी भी कहा जाता है। इस वर्ष बसंत पंचमी 26 जनवरी 2023 को आएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सृष्टि के निर्माता भगवान ब्रह्मा  के मुख से पंचमी तिथि के दिन ही ज्ञान और बुद्धि की देवी मां शारदा की उत्पत्ति हुई थी । इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा -अर्चना की जाती है। माना जाता है कि इस दिन मां शारदे की विधि -विधान से पूजा की जाती है। इस दिन पीले वस्त्र भी धारण किए जाते हैं।

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बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त

इस बार बसंत पंचमी भी दो दिन मनाई जाएगी। कई लोग 25 जनवरी को बसंत पंचमी मना रहे हैं ,तो कई लोग 26 जनवरी को मनाएगें। लेकिन शास्त्रों के अनुसार कोई भी पर्व मनाने के लिए उदियात तिथि को मान्यता दी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि सूर्य के उदय होने के दिन आने वाली तिथि के दिन पर्व मनाया जाता है। वैसे माघ शुक्ल पंचमी तिथि 25 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 34 मिनिट पर लगेगी और इसका समापन 26 जनवरी को सुबह 10 बजकर 28 मिनिट पर होगा। इसलिए उदियात तिथि के अनुसार 26 जनवरी को ही बसंत पंचमी मनाई जाएगी। बसंत पंचमी पर पूजा का मुहूर्त्त सुबह 7 बजकर 7 मिनिट से लेकर सुबह10 बजकर 28 मिनिट तक रहेगा।

बसंत ऋतु का प्रारंभ

बसंत पंचमी को ज्ञान पंचमी ,श्री पंचमी और मधुमास भी कहा जाता है। इस दिन बसंत ऋतु का आगमन होता है। इस दिन संगीत व ज्ञान की देवी मां शारदा की पूजा पीले फूलों से की जाती है। इस दिन से किसी मांगलिक या नये कार्य की शुरुआत करना भी शुभ माना जाता है।

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पीले फूलों से करें श्रंगार

श्री पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करना चाहिए। मां सरस्वती को पीले रंग का चंदन या केसर का तिलक लगाएं और पीले फूलों से श्रंगार करें। इसके साथ ही पीले रंग की मिठाई का भोग अर्पित करें। मां के लगाया केसर या चंदन के तिलक को अपने माथे पर लगायें। इससे मां शारदा की कृपा जातक पर बरसती है। इसके बाद मां को चढाया भोग ,प्रसाद के रुप में ग्रहण करें।

प्राणियों को दी वाणी

पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की और सभी जीव-जंतु पृथ्वी पर वास करने लगे। लेकिन इसके बाद भी चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। इस कारण ब्रह्माजी अपनी रचना से संतुष्ट नहीं थे। इसका हल निकालने के लिए ब्रह्माजी ने मां सरस्वती का आह्वान किया । माघ शुक्ल की पंचमी तिथि को मां प्रकट हुई। मां शारदे की कृपा से धरती के जीवों को वाणी मिली। सभी प्राणी बोलने लगे। प्रथम बार माता की वीणा से संगीत के स्वर निकले थे। मां शारदा हाथों में वीणा और पुस्तक लेकर प्रकट हुई थी। इसी कारण से मां सरस्वती या वीणावादिनी को ज्ञान,वाणी और संगीत की देवी माना जाता है।

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इन मंत्रों से करें मां शारदे की आराधना

-ज्ञान प्राप्ति के लिए इस मंत्र का जाप कर मां शारदा की आराधना करनी चाहिए।

ओम एं वाग्देव्यै विद्महे धीमहि,तन्नो देवी प्रचोदयात ।

-नौकरी और प्रमोशन के लिए इस मंत्र का जाप करें।

ओम वद वद वाग्वादिनी स्वाहा ।

-परिक्षा में सफलता के लिए इस मंत्र का जाप मां सरस्वती के चित्र के सामने बैठकर करें।

ओम एकदंत महा बुद्धि,सर्व सौभाग्यदायक: ।

सर्व सिद्धि करो देवी गौरी पुत्रो विनायक: ।

-यह मंत्र पढ़ाई में कमजोर विद्र्यार्थियों के परिजन या अभिभावक भी कर सकते हैं। इस मंत्र की 5 या 11 माला का जाप करना चाहिए।

ओम् ऐं सरस्वत्यै नम: ।

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