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'शिक्षा में सरस्‍वती का क्‍या योगदान है…?' महिला टीचर ने मां सरस्वती की तस्वीर लगाने से किया मना, Video Viral

07:40 PM Jan 27, 2024 IST | Sanjay Raiswal

बारां। राजस्थान के बारां में सरकारी स्कूल के गणतंत्र दिवस समारोह में जमकर हंगामा हुआ। यहां सरकारी स्कूल की शिक्षिका ने समारोह में मां सरस्वती की तस्वीर लगाने से साफ इंकार कर दिया। इसकी शिकायत विभाग के उच्चाधिकारियों के पास पहुंची तो उन्होंने साफ कह दिया- शिक्षा के क्षेत्र में सरस्‍वती का क्‍या योगदान है। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। यह मामला बारां के किशनगंज तहसील क्षेत्र के स्कूल का है।

लकड़ाई सरकारी स्कूल में गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान महात्मा गांधी, डॉ. भीमराव अंबेडकर और सावित्री बाई फुले की तस्वीर लगाई थी, लेकिन मां सरस्वती की तस्वीर को दरकिनार किया। ग्रामीणों ने मां सरस्वती की तस्वीर लगाने की मांग की। करीब 20 साल से स्कूल में तैनात महिला शिक्षिका हेमलता बैरवा (42) ने मां सरस्वती की तस्वीर लगाने से इनकार कर दिया।

इस पर आक्रोशित ग्रामीणों ने शिक्षिका का भारी विरोध किया और इस बीच दोनों की तीखी नोक-झोंक भी सामने आई। वीडियो में ग्रामीणों व शिक्षिका में बहस हो रही है, जिसमें ग्रामीण कार्यक्रम के दौरान सरस्वती माता की तस्वीर लगाने पर अड़े रहे। जबकि शिक्षिका कह रही है कि मैंने सावित्री बाई फुले की तस्वीर लगा दी है। अब सरस्वती की तस्वीर की जरूरत नहीं।

शिक्षिका ने लगाई थी सावित्री बाई फुले की तस्वीर…

दरअसल, समारोह के दौरान महिला शिक्षिका ने महात्मा गांधी, भीमराव अंबेडकर और सावित्री बाई फुले की तस्वीर लगाई थी। कार्यक्रम के दौरान मां सरस्वती की तस्वीर नहीं देखकर ग्रामीण ने तस्वीर रखने की बात कही। टीचर ने मना कर दिया। ग्रामीण कार्यक्रम के दौरान मां सरस्वती की तस्वीर लगाने पर अड़े रहे, जबकि टीचर ने कहा कि मैंने सावित्री बाई फुले की तस्वीर लगा दी है। इस दौरान टीचर ने सावित्री बाई फुले को ही विद्या की देवी बताया।

महिला शिक्षिका ने कहा- बच्चों की देवी सावित्री बाई फुले हैं। साथ ही टीचर ने पूजा नहीं करने और दीपक जलाने से भी मना कर दिया। इससे ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ गया। नाराज ग्रामीणों ने विभाग के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को मामले से अवगत करवाया।

महिला शिक्षिका और ग्रामीणों के बीच हुई इस बहस का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस दौरान ग्रामीण बोलते हुए नजर आ रहे हैं कि बच्चों की देवी सरस्वती हैं, जिस पर शिक्षिका ने कहा कि बच्चों की देवी सावित्री बाई फुले हैं। ग्रामीणों ने शिक्षिका से पूछा कि सरस्वती को किस स्कूल में नहीं पूजते ? इस पर शिक्षिका ने कहा कि मैं सरस्वती की तस्वीर नहीं लगाऊंगी। सरस्वती की तस्वीर लगाने का कोई औचित्य नहीं है। शिक्षिका ग्रामीणों ने बराबस बहस करती नजर आई।

जांच के बाद कार्रवाई करने के निर्देश…

वीडियो में देखा जा सकता है कि इसके बाद शिक्षिका ने किसी उच्च अधिकारी को फोन कर ग्रामीणों की ओर से डाले जा रहे दबाव से अवगत कराया। शिक्षिका अधिकारी से भी फोन पर पूछती नजर आई कि सरस्वती का शिक्षा के क्षेत्र में क्या योगदान है? आखिर सरस्वती की तस्वीर स्कूल में क्यों लगाई जाए ? सारे विवाद के बीच ग्रामीण स्कूल के ऑफिस से मां सरस्‍वती की तस्‍वीर लेकर आए। उसे मंच पर रखा। इसके बाद मामला शांत हुआ। इसके बाद गणतंत्र दिवस समारोह का संचालन हो सका।

इस पूरे मामले को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी पीयूष कुमार शर्मा ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में आ चुका है। हेमलता नाम की शिक्षिका ग्रामीणों से विवाद करती दिख रही है। मैंने बीईओ को पूरे मामले की जांच करने को कहा है, इसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।

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