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जिन हाथों में कभी था चूल्हा-चौका…अब संभाल रही हैं गाड़ी का स्टीयरिंग, विदेश में भी चलाएंगी ट्रेलर

06:13 PM Nov 27, 2023 IST | Sanjay Raiswal
जिन हाथों में कभी था चूल्हा चौका…अब संभाल रही हैं गाड़ी का स्टीयरिंग  विदेश में भी चलाएंगी ट्रेलर

जयपुर। जिन हाथों में कभी घर को संभालने और चूल्हा-चौका करने का जिम्मा था, वह आज सड़क पर बेधड़क गाड़ी की स्टीयरिंग संभाल रही हैं। पुरुषों के एकाधिकार वाले क्षेत्र में मिसाल बनकर खुद को साबित कर रही हैं। यह सब आजाद फाउंडेशन नाम की एनजीओ की मदद से हो पाया है। यह फाउंडशेन जयपुर में गरीब वर्ग की महिलाओं को ड्राइविंग की ट्रेनिंग देकर प्रोफेशनल ड्राइवर बना रहा है।

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एनजीओ की सहयोगी संस्था सखा की ओर से वुमन विद व्हील्स नाम से फीमेल कैब सर्विस चलाई जा रही है। यह कैब सर्विस जयपुर, दिल्ली एनसीआर, इंदौर, कोलकाता आदि जगहों पर चल रही है। एनजीओ की ओर से अब तक चार हजार महिलाओं को ड्राइविंग की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। इनमें 1500 महिलाएं ड्राइविंग की जॉब से आत्मनिर्भर बन गई है। जयपुर में करीब 7 कैबों से 24 घंटें टैक्सी सेवा लोगों को उपलब्ध करवा रही हैं। इसके साथ ही टू व्हीलर से सामान डिलिवरी का जॉब कर रही है। इससे महिलाओं को रोजगार मिल रहा है, वहीं ड्राइवर जैसे जोखिमभरे जॉब करने पर हैरानी जताई जा रही है।

महिलाओ को पसंद आ रही सर्विस….

सखा कैब सर्विस की सिटी चीफ शिबा ने बताया कि फाउंडेशन के ड्राइविंग ट्रेनिंग कोर्स के बाद ये महिलाएं जयपुर में कै ब सर्विस चला रहीं हैं। कपंनी के निर्धारित नंबर, वेबसाइट और ऑफिस में संपर्क कर कैब बुक की जाती है। इस सर्विस को ज्यादात्तर महिलाएं व विदेशी ट्यूरिस्ट बहुत पसंद कर रहे हैं। ड्राइविंग से इन महिलाओ को सम्मान की नजरों से देखा जा रहा है।

विदेश में भी चलाएंगी ट्रेलर…

इस एनजीओ से ड्राइविंग की ट्रेनिंग ले चुकी 12 महिलाओं का विदेश की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में चयन हुआ है। इसके बाद ये लड़कियां अब विदेश में ट्रेलर चलाएंगी। ड्राइविंग सीखने के बाद 75 महिलाएं सखा के साथ ड्राइवर के रूप में काम कर रही है। जयपुर की पहली ऑटो ड्राइवर भी हेमलता यहां से ट्रेनिंग ले चुकी है। एनजीओ की नेशनल लीड अनिता माथुर ने बताया कि संस्था का काम नेतृत्व क्षमता का विकास करना है।

इनके जीवन में आया बदलाव…

कैब चालक ममता ने बताया कि मैं सखा में ड्राइवर का जॉब करती हूं, मुझे बहुत अच्छा लगता है। मैं अपना खर्चा और बच्चों का खर्चा खुद उठाती हूं। वहीं एक और कैब चालक संजू महावर ने बताया कि पहले मेरे घर पर ड्राईविंग करने के लिए सब मना करते थे। आज उनको मेरे पर और ड्राइवर काम करने पर गर्व है। जयपुर के बाहर भी सवारियां ले जाती हूं। वहीं सुमित्रा मीणा ने कहा कि ये मेरा पहला जॉब है और जॉब के साथ पढ़ाई भी कर रही हूं। मेरा परिवार काफी सपोर्ट करता है। मेरे ड्राईवर होने पर सब गर्व करते हैं।

(इनपुट-बजरंग लाल बुनकर)

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