Rama Mandir Ayodhya: 'राम मंदिर की नींव में राजस्थान की महक…', देवस्थानों की माटी हजारों सालों तक रखेगी मजबूत
Rama Mandir Ayodhya: अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है। हर कोई इसका साक्षी बनना चाहता है और पूरा देश राममयी हो रहा है। लेकिन राजस्थान वासियों के लिए यह खास गौरव का पल है। छोटी काशी के नाम प्रसिद्ध राजधानी जयपुर के प्रसिद्ध श्री राधागोविंद देवजी मंदि, मोतीडूंगरी गणेश मंदिर, तपोभूमि गलता तीर्थ, हल्दीघाटी, चित्तौड़गढ़, मेहंदीपुर बालाजी, त्रिनेत्र गणेश, डिग्गी कल्याण जी और पचास अधिक मंदिर, मठ, आश्रम और तीर्थ क्षेत्रों 'रज कण' यानी मिट्टी का उपयोग राम मंदिर की नींव किया गया है।
मीरा की भक्ति, महाराणा प्रताप के पराक्रम और वीर सपूतों के शौर्य के लिए प्रसिद्ध राजस्थान की माटी अब अयोध्या में निर्मित 'रामलला' मंदिर की नींव की मजबूती में अपने योगदान के लिए याद रखी जाएगी। मंदिर के प्रत्येक भाग में राजस्थान रज अपनी सुंगध बिखेरेगी।
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देश 2,587 क्षेत्रों से आई मिट्टी
राम मंदिर के नींव में देश के 2 हजार 587 स्थानों से आई मिट्टी का इस्तेमाल किया गया है। हजारों सालों तक राम मंदिर खड़ा इसलिए इसकी नींव के निर्माण का कार्य लगभग 5 महीनों तक चला। नींव मजबूत रहे इसलिए जमीन की 50 फीट गहराई में कांक्रीट की आधारशिला रखी गई। 2.77 एकड़ भूमि में प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर तैयार किया गया है।
राजस्थान में यहां से एकत्रित हुई मिट्टी
जयपुर से मोती डूंगरी गणेशजी, गोविंद देवजी, गलता पीठ, घाट के बालाजी, शिलामाता, झूलेलाल मंदिर अमरापुर, श्री ताड़केश्वर महादेव मंदिर, त्रिवेणी धाम, शाकंभरी माता सांभर, ज्वाला माता मंदिर जोबनेर, वीर हनुमान मंदिर सामोद, पंचखंड पीठ विराटनगर, सीकर जिले से खाटूश्याम जी, रेवासा पीठ, जीणमाता मंदिर, चूरू जिले से सालासर बालाजी, ददरेवा धाम राजगढ़, झुंझुनूं जिले से रानी सती मंदिर, सूर्य मंदिर लोहार्गल, शाकंभरी माता मंदिर उदयपुरवाटी, अलवर जिले से भर्तृहरि धाम पांडुपोल, करौली जिले से मदन मोहन जी मंदिर, कैला माता मंदिर से एकत्रित की गई मिट्टी को राम मंदिर की नींव में भराव किया गया है।
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