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‘सिटी किलर’, तबाही का देवता…पृथ्वी के पास से गुजरते हैं कई क्षुद्रग्रह

ऐस्टरॉइड या क्षुद्रग्रह हमारे सौर मंडल के निर्माण के बाद बचे चट्टानों के टुकड़े हैं। चार मीटर से अधिक व्यास वाले लगभग आधा अरब ऐस्टरॉइड सूर्य की परिक्रमा करते रहते हैं, जो हमारे सौर मंडल से लगभग 30 किमी प्रति सेकंड की गति से गुजरते हैं।
08:58 AM Aug 05, 2023 IST | BHUP SINGH

बेंटली। ऐस्टरॉइड या क्षुद्रग्रह हमारे सौर मंडल के निर्माण के बाद बचे चट्टानों के टुकड़े हैं। चार मीटर से अधिक व्यास वाले लगभग आधा अरब ऐस्टरॉइड सूर्य की परिक्रमा करते रहते हैं, जो हमारे सौर मंडल से लगभग 30 किमी प्रति सेकंड की गति से गुजरते हैं, लगभग पृथ्वी के समान गति से। ऐस्टरॉइड निश्चित रूप से लोगों की कल्पनाओं में रहते हैं, तभी तो यह कई हॉलीवुड फिल्मों में दिखाई देते हैं, यदि कोई बड़ा ग्रह पृथ्वी से टकराता है तो कितना विनाश हो सकता है। लगभग हर सप्ताह हम ऑनलाइन सुर्खियां देखते हैं, जिनमें क्षुद्रग्रहों को ‘बस’, ‘ट्रक’, ‘वेंडिंग मशीन’, ‘आधे जिराफ’ और कई बार ‘पूरे जिराफ’ के आकार का बताया जाता है।

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प्लैनेट किलर जैसे विशेषण हैं इनके

हमारे पास क्षुद्रग्रहों के बारे में ‘सिटी किलर’, ‘प्लैनेट किलर’ और ‘गॉड ऑफ कै ओस’ जैसे विशेषण भी हैं। निसंदेह, क्षुद्रग्रहों से उत्पन्न खतरे वास्तविक हैं। यह सर्वज्ञात है कि लगभग 6.50 करोड़ वर्ष पहले, पृथ्वी पर संभवतः एक बड़े क्षुद्रग्रह के प्रभाव के कारण जीवन घुटनों पर आ गया था, जिससे अधिकांश डायनासोर मारे गए थे। छोटे क्षुद्रग्रह बड़े की तुलना में बहुत कम नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए, पृथ्वी बड़े क्षुद्रग्रहों के साथ दुर्लभ लेकिन उच्च प्रभाव वाले टकरावों का अनुभव करती है।

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95% एस्टेरॉइड खोजे जा चुके

सबसे छोटे क्षुद्रग्रह पृथ्वी के वायुमंडल से टकराने पर काफी हद तक वहीं टूट जाते हैं। जब एक छोटा क्षुद्रग्रह पृथ्वी के वायुमंडल से टकराता है, तो यह एक चमकीला ‘आग का गोला’ बना जाता है। अनुमानत: एक किमी से बड़े आकार के लगभग 95% क्षुद्रग्रह पहले ही खोजे जा चुके हैं, और शेष 5% के लिए आसमान में लगातार खोज की जा रही है। जब कोई नया पाया जाता है, तो खगोलशास्त्री पृथ्वी पर किसी भी खतरे का आकलन करने के लिए व्यापक अवलोकन करते हैं।

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