For the best experience, open
https://m.sachbedhadak.com
on your mobile browser.

दिव्यकृति सिंह को मिला अर्जुन अवार्ड… घुड़सवारी में 41 साल बाद देश को दिलाया था गोल्ड मेडल

07:19 PM Jan 09, 2024 IST | Sanjay Raiswal
दिव्यकृति सिंह को मिला अर्जुन अवार्ड… घुड़सवारी में 41 साल बाद देश को दिलाया था गोल्ड मेडल

जयपुर। दिव्यकृति सिंह, एक ऐसा नाम जिसने राजस्थान का गौरव बढ़ाया है। राजस्थान की दिव्यकृति सिंह हॉर्स राइडिंग में अर्जुन अवॉर्ड पाने वाली देश की पहली महिला बन गई हैं। बता दें कि दिव्यकृति सिंह (23) ने हांगझाउ एशियन गेम्स 2023 में भारत को गोल्ड मेडल दिलाया। देश को घुड़सवारी में 41 साल के लंबे अंतराल के बाद यह सम्मान दिलाया था। इसी कारण से उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में दिव्यकृति सिंह को अर्जुन अवॉर्ड प्रदान कर सम्मानित किया।

Advertisement

दिव्यकृति ने स्कूल की थी घुड़सवारी की शुरूआत…

राजस्थान के नागौर जिले में पीह गांव निवासी दिव्यकृति सिंह ने अजमेर के मेयो स्कूल से घुड़सवारी की शुरुआत की थी। दिव्यकृति सिंह उस समय 7वीं कक्षा में पढ़ती थी। इसके बाद से वह लगातार घुड़सवारी करती आ रही हैं। दिव्यकृति ने दिल्ली विश्वविद्यालय के जीसस एंड मैरी कॉलेज से पढ़ाई करने के दौरान उन्होंने कई देशों में घुड़सवारी की ट्रेनिंग ली। इनमें जर्मनी, नीदरलैंड्स, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल है।

वर्तमान में यूरोप में रहती हैं दिव्यकृति…

बता दें कि साल 2020 में दिव्यकृति सिंह यूरोप में शिफ्ट हो गईं। देश में होने वाली कई हॉर्स राइडिंग प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लिया है। उन्होंने एशियन गेम्स में बेहतर प्रदर्शन के लिए एक साल डेनमार्क और 2 साल जर्मनी में भी ट्रेनिंग ली थी। एशियन गेम्स-2023 में स्वर्ण पदक जीतने के बाद उन्होंने सुर्खिया बंटोरीं थी। इस साल मार्च में इंटरनेशनल इक्वेस्ट्रियन फेडरेशन द्वारा जारी ग्लोबल ड्रेसाज रैंकिंग में दिव्यकृति को एशिया में नंबर 1 और विश्व में 14वां स्थान दिया गया था।

दिव्यकृति के पिता ने खरीदकर दिया था घोड़ा…

दिव्यकृति का परिवार जयपुर में रह रहा है। उनके परिवार में माता-पिता और एक बड़ा भाई हैं। उनके पिता विक्रम सिंह पोलो क्लब जयपुर से जुड़े हुए हैं। वर्तमान में दिव्यकृति यूरोपीय देश ऑस्ट्रिया में रह रही हैं और वहां ट्रेनिंग कर रही हैं। पिता विक्रम सिंह ने बताया कि एक समय था जब दिव्यकृति के पास प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए घोड़ा नहीं था। ऐसे में बेटी और उसके हुनर को आगे बढ़ाने के लिए उनके पिता विक्रम सिंह ने उन्हे जर्मनी से घोड़ा खरीदकर दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी ट्रेनिंग पूरी की। दिव्यकृति सिंह भारतीय घुड़सवारी ड्रेसाज टीम की सदस्य रहीं हैं।

.