शोधकर्ताओं ने किया खुलासा : सुलझ गया अब मिनी मून का रहस्य
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने 8 साल पहले अंतरिक्ष में एक रहस्यमय चीज देखी थी, जो पृथ्वी के साथ सूर्य की परिक्रमा कर रही थी। अब वैज्ञानिकों ने इस रहस्य को हल करते हुए इस क्षुद्रग्रह के बारे में पता लगा लिया है। खगोलविदों का मानना है कि ये पिंड चंद्रमा का एक टुकड़ा हो सकता है। यही नहीं, उन्होंने वो जगह भी ढूंढ़ निकाली है, जहां से यह अलग होकर बाहर गया था। अब इस टुकड़े को मिनी मून नाम दिया गया है। नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन में पाया गया है कि पृथ्वी के नजदीक मौजूद क्षुद्रग्रह कामोओलेवा स्पेस में किसी चट्टान के चंद्रमा से टकराने की वजह से बना हो सकता है।
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2016 में हुई थी क्षुद्रग्रह की खोज
कामोओलेवा की खोज 2016 में हवाई में हलेकाला वेधशाला के शोधकर्ताओं द्वारा की गई थी। इसका व्यास लगभग 100 से 200 फीट है। हर 28 मिनट में यह घूर्णन का अपना एक चक्कर पूरा करता है। क्षुद्रग्रह पृथ्वी के समान पथ पर सूर्य की परिक्रमा करता है। कभी-कभी यह 1.6 करोड़ किमी के भीतर आ जाता है।
चेंग और उनके सहयोगियों ने इस बात की गणना की चंद्रमा की सतह से कामोओलेवा जैसे टुकड़े को बाहर निकालने के लिए किस आकार की वस्तु और किस प्रभाव की गति की आवश्यकता होगी। उन्होंने पाया कि 18 किमी प्रति सेकंड की गति और 45 डिग्री के प्रभाव से टक्कर होने के बाद 10 से 20 किलोमीटर गड्ढा छोड़ सकता है।
10 करोड़ साल तक जीवित रहते हैं क्षुद्रग्रह
शोधकर्ताओं ने अपने पेपर में लिखा है कि चंद्रमा पर हजारों क्रेटर हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश प्राचीन हैं। पृथ्वी के करीब क्षुद्रग्रह सूर्य या किसी और ग्रह से टकराने या सौर मंडल से पूरी तरह बाहर निकलने के पहले आम तौर पर लगभग 1 करोड़ वर्ष से लेकर अधिकतम 10 करोड़ वर्ष तक जीवित रहते हैं।
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शोधकर्ताओं ने जियोर्डानो ब्रूनों पर ध्यान केंद्रित किया जो आकार और उम्र दोनों में मेल खाता था। उन्होंने पाया कि जिस वजह से जिओर्डानो ब्रूनो का निर्माण हुआ, उससे वर्तमान में कामोओलेवा जैसे तीन क्षुद्रग्रह बन सकते थे।