BJP-कांग्रेस के दबदबे के बीच राजस्थान में तीसरा मोर्चा बना रहा पैठ, क्या क्षेत्रीय पार्टियां बिगाड़ेंगी गणित?
(हिमांशु शर्मा) : जयपुर। राजस्थान को एक टू पार्टी स्टेट माना जाता है। यहां हमेशा कांग्रेस या भाजपा में से ही किसी पार्टी की सरकार रही है। इस प्रदेश में इन दोनों पार्टियों के अलावा कोई भी पार्टी कभी इस स्तर पर नहीं उभरी कि अपनी सरकार बना सके या किसी सरकार में बहुत महत्वपूर भूमिका निभा सके। बसपा, सीपीएम, रालोपा सहित कुछ छोटी पार्टियों का वोट बैंक है, लेकिन सरकार बनाने की स्थिति में कोई भी पार्टी फिलहाल दिखाई नहीं देती।
1980 के बाद कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस की सरकार सत्ता में आती रही है। साल 1998 से लेकर साल 2018 तक केवल दो ही मुख्यमंत्री रहे हैं। यही कारण है कि अगर तीसरा मोर्चा बनता है जो राज्य की जनता एक मौका उन्हें भी जरूर देना चाहेगी। राजस्थान में तीसरे मोर्चे की सरकार तो अब तक नहीं बन पाई लेकिन चुनावों में निर्दलीय अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं।
किसी तीसरी पार्टी की नहीं है प्रदेशव्यापी पहुंच
प्रदेश में तीसरे मोर्चेकी मौजूदगी पचास के दशक से है, तब स्वतंत्र पार्टी और रामराज्य पार्टी अस्तित्व में थी। आज भी तीसरा मोर्चा तो मौजूद है, लेकिन अब इनकी प्रदेशव्यापी पहुंच नहीं है. ये राजनीतिक दल जाति या क्षेत्र तक सीमित है। प्रदेशभर में यात्रा निकाल रहे हनुमान बेनीवाल को जहां मारवाड़ में भरपूर समर्थन मिल रहा है वहीं जयपुर में उनकी रैली में श्रेाताओंका टाेटा रहा है।
पिछले विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल की पार्टी ने 58 सीटों में से तीन पर जीत हासिल की थी तो सात सीटों पर कड़ी टक्कर के बाद प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे थे। इस बार वे सभी 200 सीटों पर ताल ठोक रहे हैं। दो सीटें जीतने वाली बीटीपी भी अब बीएपी बन चुकी है और 17 आदिवासी सीटों पर मुकाबला करेगी। बसपा ने भी हाल ही प्रदेश की आधी विधानसभाओ में ं रैली निकाली है। 16 अगस्त को धौलपुर से रवाना हुई रैली का समापन मंगलवार 29 अगस्त को जयपुर के शहीद स्मारक पर हुआ।
बसपा के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद ने कहा कि बसपा प्रदेश की सभी 200 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पांच सीटों पर उम्मीदवार भी उतारे जा चुके हैं। बसपा हालांकि चार से पांच फीसदी वोट बैंक हासिल करती है, लेकिन क्षेत्रीय पकड़ कमजोर है। प्रदेश में पिछले चुनावों में बसपा ने छह सीटें जीती थीं लेकिन बसपा का प्रभाव कांग्रेस की छाया में गुम हो गया। बसपा नेता कहते हैं कि आखिरी मौके पर राज्य के वोटर्स दो दलों में बंट जाते हैं।
वहीं, आप का दावा है कि वे सभी सीटों पर लड़ेंगे तो औवेसी का फोकस 40 मुस्लिम सीटों पर दिखेगा। सीपीएम 10 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही है। हालांकि, तीसरा मोर्चा संभावना रखता है, लेकिन एकता की कमी से उसकी मारक क्षमता कम दिखती है।
इस बार मैदान में 88 पार्टियां
राजस्थान में इस बार राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय पार्टियों सहित 88 पार्टियां चुनाव मैदान में हो सकती हैं। राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय पार्टियों के अलावा शेष गैर मान्यता प्राप्त रजिस्टर्ड हैं जो इक्का-दुक्का सीटों पर चुनाव लड़ती हैं। राज्य में फिलहाल कांग्रेस, भाजपा, बसपा, सीपीएम और आप राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर मैदान में होंगी। इसके अलावा निम्न दल गैर मान्यता प्राप्त रजिस्टर्ड दल के रूप में लड़ेंगे, अधिकांश पार्टियां मान्यता के लिए जरूरी न्यूनतम वोट प्रतिशत हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही हैं।
ये है वो पार्टियां
अखिल भारत हिंदू महासभा, ऑल इंडिया हिंदुस्तान कांग्रेस पार्टी, अखिल भारतीय आमजन पार्टी, अनारक्षित समाज पार्टी, अखंड समता पार्टी, अंजुमन पार्टी, अंबेडकराइट पार्टी ऑफ इंडिया, अभिनव राजस्थान पार्टी, अंबेडकर समाज पार्टी, असंख्य समाज पार्टी, आरक्षण विरोधी पार्टी, बहुजन संघर्ष दल, भारतीय बहुजन पार्टी, भारतीय पार्टी, भारतीय जन हितकारी पार्टी, भारतीय जन क्रांति दल, भारतीय जनसत्ता पार्टी, भारतीय किसान पार्टी, भारत लोक सेवक पार्टी, बहुजन मुक्ति पार्टी, भारतीय पब्लिक लेबर पार्टी, भारतीय रिपब्लिकन पक्ष, भारतीय राष्ट्रवादी समानता पार्टी, भारतीय ट्राइबल पार्टी, भारत वाहिनी पार्टी, भारतीय पंचायत पार्टी, भारतीय युवा शक्ति, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (एमएल एल), दलित क्रांति दल, दलित शोषित पिछड़ा वर्ग अधिकार दल, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, हिंद कांग्रेस पार्टी, हिंदुस्तान जनता पार्टी, हिंदुस्तान निर्मान दल, हिंदुस्तान शक्ति सेना, इंडियन इंदिरा कांग्रेस (आर), इंडिया न्यू कांग्रेस पार्टी, इंडियन पीपल्स ग्रीन पार्टी, इंकलाब विकास दल, जन अधिकार पार्टी, जनता वादी कांग्रेस पार्टी, जागो पार्टी, जनता सेना राजस्थान, खुशहाल किसान पार्टी, क्रांति जनशक्ति पार्टी, लोकतांत्रिक जनता दल, महाराणा क्रांति पार्टी, मानवाधिकार नेशनल पार्टी, नेशनल फ्यूचर पार्टी, नया भारत पार्टी, नेशनलिस्ट पीपल्स फ्रंट, नेशनल यूनियनिस्ट जमींदारा पार्टी, पंच पार्टी, पीपल्स लिबरल पार्टी, पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया, प्रूटिस्ट सेव समाज, राजस्थान जनता पार्टी, राष्ट्रीय जनक्रांति पार्टी, राष्ट्रीय अतुल्य युवा पार्टी, राष्ट्रीय क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, राष्ट्रीय मजदूर किसान पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए), रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया ( रिफॉर्मिस्ट) राष्ट्रीय सर्वजन विकास पार्टी, राष्ट्रीय समाज पक्ष, शिरोमणि अकाली दल, सर्वधर्म पार्टी, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी, सर्वशक्ति दल, स्वराज इंडिया, यूनाइटेड नेशनल पार्टी व वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया।
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