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MDMH के डॉक्टरों का कमाल…AIIMS में जन्मे 9 दिन के बच्चे की हार्ट सर्जरी सफल, उल्टी थी धमनियां

जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल के डॉक्टरों ने कमाल कर दिया है। एम्स में जन्मे 9 दिन के बच्चे की कार्डियक सर्जरी कर एक नई जिंदगी दी है।
09:39 AM Aug 18, 2023 IST | Anil Prajapat
mdmh के डॉक्टरों का कमाल…aiims में जन्मे 9 दिन के बच्चे की हार्ट सर्जरी सफल  उल्टी थी धमनियां
Heart surgery

Mathuradas Mathur Hospital : जयपुर। जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल के डॉक्टरों ने कमाल कर दिया है। एम्स में जन्मे 9 दिन के बच्चे की कार्डियक सर्जरी कर एक नई जिंदगी दी है। मथुरादास माथुर अस्पताल के शिशु रोग विभाग में शुरू हुई पीडियाट्रिक कैथ लैब में चिकित्सकों ने गुरुवार को 9 दिन के नवजात की सफल कार्डियक सर्जरी की।

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अस्पताल अधीक्षक डॉ. विकास राजपुरोहित ने बताया कि एम्स में 9 दिन का नवजात शिशु ट्रांस पोजीशन ऑफ ग्रेट वेसल्स (बड़ी धमनी का उल्टा होना) बीमारी से ग्रसित था। उसका ऑक्सीजन लेवल 40 से 45 परसेंट था।

इस केस को लेकर एम्स के डॉक्टर्स ने एमडीएम अस्पताल में डॉ. जेपी सोनी से संपर्क किया। जिसके बाद एमडीएम के पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी टीम से डॉ. जेपी सोनी आचार्य, डॉ. विकास आर्य सहायक आचार्य एवं सहआचार्य डॉक्टर संदीप चौधरी ने यह ऑपरेशन किया।

अब बच्चे का ऑक्सीजन लेवल 80 से 82 परसेंट

नवजात काे ट्रांसपोर्ट इनक्यूबेटर से एनआईसीयू में भर्ती करके एमडीएम कैथ लैब में बास प्रोसीजर द्वारा एट्रियल सेप्टम को चौड़ा किया गया। सर्जरी के बाद बच्चे का ऑक्सीजन लेवल 80 से 82 परसेंट हो गया, जिसके बाद नवजात को एम्स में शिफ्ट किया गया है।

चिरंजीवी योजना के तहत निशुल्क हुआ ऑपरेशन

ऑपरेशन इमरजेंसी में मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के तहत निशुल्क किया गया है। डॉ. राजपुरोहित ने मेडिकल कॉलेज के कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. दिलीप कच्छवाहा, पीडियाट्रिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष पारख और पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी टीम को इसके लिए बधाई दी।

ऑक्सीजन की कमी से नीला पड़ जाता है शरीर

पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी डिवीजन के डॉक्टर विकास आर्य ने बताया कि ट्रांस पोजीशन ऑफ ग्रेट वेसल्स नामक बीमारी में जन्म के बाद बच्चे को नीले पड़ने की शिकायत होती है, क्योंकि शरीर एवं फेफड़ों को खून ले जाने वाली नसें आपस में बदल जाती हैं। ऐसे में अगर एट्रियल सेप्टल में छेद अगर छोटा हो तो बच्चे का ऑक्सीजन लेवल काफी कम होता है एवं बच्चा ऑक्सीजन की कमी से मल्टी ऑर्गन फैलियर में चला जाता है। ऐसे में पैलिएटिव इंटरवेंशन विधि से बैलून प्रोसीजर किया जाता है।

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