Rakbar Mob Lynching Case : 5 साल बाद आया फैसला, 4 आरोपियों को 7-7 साल की सजा…1 बरी
Rakbar Mob Lynching Case : अलवर। देशभर में चर्चित रकबर मॉब लिंचिंग मामले में 5 साल बाद बड़ा फैसला आया है। अलवर एडीजे कोर्ट ने चार आरोपियों को दोषी करार देते हुए सात-सात की सजा सुनाई है। साथ ही 10-10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। वहीं, कोर्ट ने एक आरोपी को सभी धाराओं से मुक्त करते हुए बरी कर दिया है।
रामगढ़ थाना क्षेत्र में 20 जुलाई 2018 को रकबर उर्फ अकबर की हत्या के मामले में जिले के एडीजे कोर्ट एक में गुरुवार को सुनाई हुई। इस दौरान जज सुनील गोयल ने आरोपी धर्मेंद्र, परमजीत सिंह, नरेश और विजय को दोषी करार देते हुए 341 और 304 के तहत सात-सात साल की सजा सुनाई। जज ने साक्ष्य के अभाव में नवल किशोर को बरी करने के आदेश दिए। आरोपियों को दोषी करार देते हुए पुलिस ने चारों आरोपियों को कस्टडी में ले लिया।
बता दें कि इस मामले में आरोपी पक्ष के वकील ने अलवर एडीजे संख्या-एक कोर्ट में चश्मदीद गवाह असलम के बयान फिर से कराने के लिए याचिका लगाई गई थी। आरोपियों की तरह से दायर इस याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद आरोपी पक्ष के वकील ने हाईकोर्ट में भी याचिका लगाई थी। एडीजे संख्या-एक कोर्ट के न्यायाधीश सुनील गोयल ने पहले फैसले के लिए 15 मई की तारीख पेशी तय की थी। वहीं, हाईकोर्ट ने चश्मदीद असलम के बयानों पर जिरह की याचिका पर सुनवाई के लिए 17 मई को पेशी तय कर दी थी। इसके चलते अलवर एडीजे संख्या-एक के न्यायाधीश ने रकबर मॉब लिंचिंग प्रकरण में फैसले के लिए 25 मई की तारीख तय की और अब कोर्ट ने चारों आरोपियों को सजा सुना दी है।
मॉब लिचिंग का मामला नहीं हुआ साबित : सरकारी वकील
आरोपियों के वकील हेमराज ने कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि आरोपी नवल किशोर को सभी धाराओं में बरी कर दिया गया है और बाकी चारों आरोपियों को 302 और 147 से बरी कर दिया गया है। शर्मा ने बताया कि कोर्ट ने चारों आरोपियों 304 और 341 में सजा दी गई है, जिसके तहत हत्या नहीं करने के इरादे के तहत सजा दी गई है। उन्होंने बताया कि कोर्ट के फैसले के आधार पर मॉब लिचिंग का मामला साबित नहीं हो पाया है। शर्मा ने बताया कि असलम के बयान के अंदर किसी भी अभियुक्त का नाम नहीं था जिसके लिए कोर्ट ने पुलिस जांच पर फटकार लगाई है और हमनें नोटिस भी जारी किया है। शर्मा ने कहा कि हम फैसले के खिलाप हाईकोर्ट में अपील करेंगे जिसके लिए हमें 1 महीने का समय दिया गया है।
साक्ष्य नहीं होने के अभाव में नवल दोष मुक्त
विशिष्ट लोक अभियोजक अशोक शर्मा ने बताया कि चर्चित रकबर मॉब लिंचिंग मामले में गुरूवार को अलवर में एडीजे कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान जज सुनील गोयल ने आरोपी करते धर्मेंद्र, परमजीत सिंह, नरेश और विजय को 341 और 304 के तहत दोषी करार दिया है। वहीं, नवल किशोर को साक्ष्य नहीं होने के अभाव में दोष मुक्त कर दिया है। उन्होंने बताया कि आरोप सिद्ध होते ही पुलिस ने चारों आरोपियों को कस्टडी में ले लिया है। कोर्ट ने ये मामला मॉब लिंचिंग का माना है और इस मामले में चारों आरोपियों को उम्र कैद तक की सजा हो सकती है। सुनवाई के दौरान आरोपी कोर्ट में गिड़गिड़ाते नजर आए। लेकिन, जज ने साफ कहा कि आरोपियों ने अपराध किया है। अगर अपराध करने वाले शख्स को ये लोग पकड़कर पुलिस को सौंपते तो ये अपराध की श्रेणी में नहीं आता। लेकिन, आप लोगों ने कानून के नियमों की धज्जियां उठाते हुए खुद ही अपराधी को सजा दी। ये भी बड़ा अपराध है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि एक से ज्यादा लोगों द्वारा किसी भी व्यक्ति की हत्या करना मॉब लिंचिंग की श्रेणी में आता है। नवल किशोर को कोर्ट से दोष मुक्त करने पर वकील अशोक शर्मा ने कहा कि नवल का प्रकरण 173 (8) में पेंडिंग रखा गया था। इसकी अन्य आरोपियों के साथ फोन पर बातचीत हुई थी उसके आधार पर ही नवल को आरोपी बनाया गया था। लेकिन, कोर्ट ने इन दस्तावेजों को सही नहीं मानते हुए नवल किशोर को बरी कर दिया।
कोर्ट परिसर छावनी में तब्दिल
इधर, सुनवाई के दौरान पूरा कोर्ट परिसर छावनी में तब्दिल रहा। किसी तरह की कोई अप्रिय घटना ना हो, इसके लिए पुलिस प्रशासन ने कोर्ट परिसर में जगह-जगह पुलिसकर्मी तैनात किए। क्यूआरटी के जवान भी सादा वर्दी में लगाए गए। खुद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सरिता सिंह मौके पर रहकर व्यवस्थाएं संभाली।
ये है पूरा मामला
बता दें कि अलवर जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र में 20 जुलाई 2018 को रकबर ऊर्फ अकबर और उसके दोस्त असलम की गौ तस्करी के शक में भीड़ ने बेहरहमी से पिटाई की थी। जिसमें अलसम तो किसी तरह बचकर निकल गया था, लेकिन भीड़ की पिटाई से गंभीर घायल रकबर ने अलवर के जिला अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया था। ये घटना उस वक्त हुई थी जब रकबर और उसका दोस्त असलम ने लाडपुरा गांव से गायों की खरीदारी कर लालवंडी से होते हुए हरियाणा में अपने गांव जा रहे थे। तभी भीड़ ने उन पर हमला कर दिया था। इस मामले में पुलिस ने धर्मेंद्र, परमजीत सिंह, नरेश, विजय और नवल को आरोपी मानते हुए गिरफ्तार किया था। इस केस में पैरवी के लिए प्रदेश सरकार ने जयपुर हाईकोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट नासिर अली नकवी को 2021 में विशिष्ट लोक अभियोजक नियुक्त किया था। केस की सुनवाई अलवर एडीजे नंबर 1 विशेष कोर्ट में चल रही है। अलवर मॉब लिंचिंग केस में अब तक 67 गवाहों के बयान कराए जा चुके है। जिनमें कॉन्स्टेबल नरेंद्र सिंह, तत्कालीन रामगढ़ थाना प्रभारी एवं एएसआई मोहन सिंह, रकबर का साथी असलम सहित पांच चश्मदीद हैं। लेकिन, अब कोर्ट ने इस मामले में पांच में से एक आरोपी को बरी कर दिया है। साथ ही चार आरोपियों को दोषी करार देते हुए सात-सात साल की सजा सुनाई है।