कोरोना वायरस ने फेफड़ों के साथ दिल को भी ‘फफेड़’ दिया
जयपुर। कोरोना वायरस के कारण केवल फेफड़ों की बीमारी के मरीज ही नहीं बल्कि हार्ट के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। वायरस का असर दिल पर आने से भारत में हार्ट अटैक के केस बढ़े है। एक कार्यक्रम में जयुपर आए हार्ट स्पेशलिस्ट और मेदांता के डॉ. नरेश त्रेहान यह बात कही। उन्होंने कहा कि कोरोना ने इंसान की नसों पर भी असर डाला है। जिससे नसों में स्वेलिंग से ब्लॉकेज के केसेज बढ़े हैं।
ह्रदय रोग विशेषज्ञ और मेदांता हॉस्पिटल के प्रबंध निदेशक, पदमश्री व पदमभूषण से सम्मानित डॉ. नरेश त्रेहान ने गुरुवार को माहेश्वरी स्कूल के तक्षशिला सभागार में हार्ट-टू-हार्ट विषय के दौरानकोरोना के दुष्प्रभावों चर्चा की। उन्होंने कहा कि कोरोना ने विश्व भर में जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। अब तक भी कोरोना के नेगेटिव इफेक्ट्स के बारे में वैज्ञानिक पता नहीं लगा सके हैं। कोरोना के कारण केवल फेफड़े ही नहीं, बल्कि नसों और हार्ट पर भी गंभीर असर पड़ा है। इससे कोविड मरीज डांस करते समय हार्ट अटैक से मौत के शिकार हो रहे हैं।
बूस्टर डोज कितनी लगेगी पता नहीं
कोविड की बूस्टर डोज को लेकर डॉ.त्रेहान ने कहा कि अभी बूस्टर डोज कितनी संख्या में लगेगी यह कहा नहीं जा सकता है। यह आने वाले दिनों में लगवानी होगी या नहीं इसको लेकर अभी चिकित्सक या मेडिकल साइंस कोई निर्णय नहीं ले सकता है। अब हाल ही आई नेजल वैक्सीन के परीक्षण हो रहे हैं, संभव है इसके बाद कोई और बूस्टर डोज की जरूरत नहीं पड़े।
जीवन में बीमार होना सबसे बुरा
डॉ.त्रेहान ने कहा कि जीवन में बीमार होना सबसेबुरा है, लेकिन यदि बीमारी आने के संकेत समय रहतेमिल जाएं और उसकी पहचान कर बीमार होने से ही बचा जा सकें तो इससे अच्छी बात कोई और हो नहीं सकती। ह्रदय रोग, मधुमेह और कैंसर होने की भी संभावनाओं की भी जानकारी मिल सकती है।
डायबिटीज व बीपी के मरीज बढ़े
डॉ.त्रेहान ने कहा कि भारत में डायबिटीज बीपी के मरीज असंतुलित खानपान,अव्यवस्थित जीवन और टेंशन के कारण बढ़े है। यह जरूरी नहीं कि इन बीमारियों की दवाएं आपको पूरे जीवन भर खानी पड़ेगी। यदि डॉक्टर की सलाह के अनुसार स्वास्थ्य पर ध्यान देंगे तो यह दवांए भी बंद हो सकती है। 50 वर्ष की आयु केबाद मांसपेशियों में कमजोरी आना सामान्य बात है। इसलिए योग करें, और सूर्य नमस्कार नियमित करने का प्रयास करें।