प्रदेश के साथ ही हेरिटेज निगम को भी मिल जाएगा नया मुखिया…दो माह से खाली चल रही है महापौर की कुर्सी
जयपुर। राजस्थान का नया मुखिया कौन होगा? ये तीन दिसंबर को विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद तय हो जाएगा। इसके साथ ही पिछले दो माह से हेरिटेज निगम महापौर की खाली पड़ी कुर्सी भी भर जाएगी। दरअसल हेरिटेज नगर निगम के सियासी समीकरण विधानसभा चुनाव के बाद बदलने की संभावना है। दो माह से अधिक का समय हो चुका, हेरिटेज नगर निगम की सत्ता बिना महापौर के चल रही है। इस कुर्सी पर कौन बैठेगा, इसका फैसला विधानसभा चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे।
क्योंकि, 22 सितम्बर को महापौर पद से राज्य सरकार मुनेश गुर्जर को निलम्बित कर चुकी है। हालांकि मुनेश का कहना है कि उन्हें अदालत से पूरी उम्मीद है कि फैसला उनके हक में आएगा। इस बीच हेरिटेज निगम में सारे काम आयुक्त कार्यालय से ही चल रहे हैं और महापौर कार्यालय पर ताला लटका हुआ है।
सत्ता की चाबी किसी को भी मिले, परकोटे को मिलेगा नया महापौर
प्रदेश में सरकार रिपीट होगी या बदलेगी, ये तो अभी भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है, लेकिन हेरिटेज निगम में नया महापौर मिलना तय है। निलंबित महापौर मुनेश गुर्जर को कोर्ट से अभी तक राहत नहीं मिली है। वहीं, सरकार भी मुनेश का महापौर बनाने के पक्ष में नहीं दिख रही है।
हाल ही हुए विधानसभा चुनावों में भी मुनेश सक्रिय दिखाई नही दी, ना तो मुनेश ने पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार किया, ना ही कांग्रेस पार्टी ने उन्हें कोई जिम्मेदारी सौंपी। ऐसे में अगर कांग्रेस सत्ता में वापस आती है तो उन्हें महापौर की जिम्मेदारी देने से बचेगी। वहीं, अगर भाजपा सत्तारूढ हो गई तो भी समीकरण उनके खिलाफ ही बनेंगे।
ये समीकरण बनने की संभावना
कांग्रेस परकोटे से जुड़ी एक विधानसभा के विधायक और मंत्री का पहले मुनेश को लगातार समर्थन मिल रहा था। उनकी टिकट कटने के बाद वे अब चुप हैं और वे सीधे तौर पर मुनेश की पैरवी करने से बचेंगे। वहीं, अन्य तीन विधायक मुस्लिम चेहरे की वकालत लगातार करते रहे हैं। ऐसे में मुनेश गुर्जर के फिर से महापौर बनने पर संकट खड़ा हो गया है।
मुस्लिम समुदाय से तीन महिला पार्षद महापौर पद के लिए लगातार लॉबिंग भी कर रही है। यदि राज्य में भाजपा की सरकार बनती है तो बोर्ड पर संकट आना तय है। भाजपा अपना महापौर बनाने की जुगत में लगेगी, क्योंकि स्पष्ट बहुमत कांग्रेस के पास भी नहीं है और दल बदल कानून भी निगम में लागू नहीं होता। समितियों का गठन नहीं होने से कांग्रेस और निर्दलीय पार्षदों ने नाराजगी है और इसी का फायदा भाजपा उठाने की कोशिश करेगी।
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विवादों में रही महापौर की कुर्सी
हैरिटेज निगम में भले ही कांग्रेस ने सरकार बनाई हो, लेकिन महापौर की कुर्सी हमेशा ही सियासी समर में फंसी रही। कभी विधायक अपने महापौर के खिलाफ मुखर हुए तो कभी पार्षदों ने विरोध किया। रही सही कसर चार अगस्त को एसीबी की कार्रवाई ने पूरी कर दी।
एसीबी की कार्रवाई के बाद पांच अगस्त को राज्य सरकार ने मुनेश को महापौर और पार्षद पद से कर निलंबित कर दिया। 23 अगस्त को मुनेश गुर्जर को कोर्ट से राहत मिली और राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगा दी और मुनेश महापौर की कुर्सी पर बैठ गईं। एक सितम्बर को राज्य सरकार ने मुनेश गुर्जर को निलंबित करने का फैसला वापस ले लिया और 22 सितम्बर को फिर निलंबित कर दिया।
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