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वायु प्रदुषण की वजह से हर साल होती है भारत में 1 लाख से ज्यादा मौतें, जाने कैसे करें इससे बचाव

10:40 AM Jul 23, 2023 IST | Prasidhi
वायु प्रदुषण की वजह से हर साल होती है भारत में 1 लाख से ज्यादा मौतें  जाने कैसे करें इससे बचाव

प्रकृति ने हमें स्वस्थ और समृद्ध जीवन जीने का अद्भुत उपहार दिया है। हम खुले आकाश के नीचे खुली हवा में सांस लेते हैं और अपने जीवन का आनंद लेते हैं। लेकिन बदलती लाइफस्टाइल, टैक्नोलॉजी का ज्यादा प्रयोग और विकास के साथ-साथ इंसानों के द्वारा किए जा रहे धूल, धुएं, तरह-तरह के वाहनों का प्रयोग और औद्योगिकीकरण ने प्रदूषण को एक गंभीर समस्या बना दिया है। WHO के अनुसार, प्रदूषण के कारण हर साल लाखों लोगों की मौत होती है और अस्थमा जैसे रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है। चलिए आज जानते हैं कि, प्रदूषण की हवा का सांस की नली और फेफड़ों पर कैसे असर पड़ता है और इससे आने वाले समय में होने वाले बुढ़ापे पर क्या प्रभाव हो सकता है।

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प्रदूषण और स्वास्थ्य का संबंध

वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जो आज के समय में पैदा हो रही है। विभिन्न उद्योग, वाहनों, बिजली उत्पादन, धूल और धुएं के बढ़ने की वजह से वायु प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही है। WHO ने वायु प्रदूषण को कई रोगों के लिए एक बड़ा कारक बताया है। इसमें सांस से जुड़ी कई परेशानियों की बात है की गई है। वायुमंडल में मिले हुए जहरीले पदार्थ धीरे-धीरे हमारे सांस की नली में प्रवेश करते हैं और इससे हमारे सांस लेने की नलियों और फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है। विशेष रूप से युवा और बुढ़े लोग इस प्रदूषण के खतरे से ज्यादा प्रभावित होते हैं।

वायु प्रदूषण और अस्थमा का रिश्ता

वायु प्रदूषण का सीधा संबंध अस्थमा से है। अस्थमा एक ऐसी श्वसन तंत्र की बीमारी है जिसमें श्वसन नलियों में सूजन हो जाती है और यह श्वसन में बाधा पैदा करती है। प्रदूषण में मिले हुए कई जहरीले पदार्थ हमारे श्वसन तंत्र को बदलकर उसमें सूजन का कारण बन सकते हैं। इससे श्वसन नलियों में दरारे बन सकती हैं जिससे व्यक्ति अस्थमा की गिरफ्त में आ सकता है। खासकर बच्चे और बुढ़े लोगों में अस्थमा के खतरे को बढ़ावा प्रदान किया जाता है।

वायु प्रदूषण और बुढ़ापे पर प्रभाव

बुढ़ापे में वायु प्रदूषण के प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। बुढ़े लोग शारीरिक रूप से छोटे होते हैं और उनके श्वसन तंत्र कमजोर हो जाते हैं। इससे वे प्रदूषण के नकारात्मक प्रभावों का सामना करने में कमजोर हो जाते हैं। बुढ़ापे में अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। इस दौरान उन्हें अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना और प्रदूषण से बचने के उपायों को अपनाना आवश्यक होता है।

प्रदूषण से कैसे करें बचाव

प्रदूषण से बचने के लिए विभिन्न उपाय अपनाए जा सकते हैं जो हमारी हेल्थ को सुरक्षित रख सकते हैं।

वाहनों का उचित प्रबंधन

गाड़ियों को नियमित रूप से चेक करवाएं और पार्टिकुलेट फ़िल्टर का उपयोग करें। कोशिश करें कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग ज्यादा करें।

पेड़ लगाना है जरूरी

हमारी हेल्दी लाइफ के लिए पेड़ों का होना काफी जरूरी है। वहीं ये पेड़ प्रकृति में मौजूद हवा को हमारे लिए साफ करने में भी मदद करते हैं। प्रदूषण को खत्म करने में पेड़ काफी अहम भूमिका निभाते हैं। पेड़ ऑक्सीजन उत्पादन करते हैं और कार्बन डाईऑक्साइड को एब्जोर्ब करते हैं।

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