एम्स जोधपुर ने किया बडा कमाल,मां के पेट पर चीरा लगाए बिना निकाली किडनी,राजस्थान में हुआ पहली बार ऐसा ट्रांसप्लांट
Aims Jodhpur: आधुनिक तकनीक का उपयोग करते जोधपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने नित नए मुकाम हासिल किए है. उसी के चलते एक ओर किडनी ट्रांसप्लांट का एक दुर्लभ ऑपरेशन करने के बाद जोधपुर का एम्स एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है. राजस्थान में इस तरह का पहला प्रयोग जोधपुर एम्स की ओर से किया गया है. एक महिला डोनर के पेट पर कट लगाए बिना उसके प्राइवेट पार्ट से किडनी निकालकर उसके बेटे को ट्रांसप्लांट की गई है. दावा किया जा रहा है कि प्रदेश में इस तरह का यह पहला ऑपरेशन है. ऐसे में इस तरह के अपने आप के अलग ऑपरेशन से एम्स जोधपुर जगह-जगह वाह वाह बटौर रहा है.
मां बेटे दोनो पूरी तरह से स्वस्थ
एम्स के यूरोलॉजिस्ट डॉ. महेंद्र सिंह की माने तो उदयपुर निवासी 32 वर्षीय युवक को हाइपरटेंशन के चलते किडनी खराब होने की शिकायत के चलते वह जोधपुर एम्स में दिखाने आया. यहां सभी तरह की जांच के बाद उसे 23 सितंबर को भर्ती कर लिया गया. परिजनों को किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई. परिजनों की सहमति और जांच के बाद 25 सितंबर को ऑपरेशन किया गया. ऑपरेशन के बाद ट्रांसप्लांट की गई किडनी अच्छे से काम कर रही है. मां-बेटे दोनों स्वस्थ हैं.
किडनी के 52 सफल ऑपरेशन कर चुका एम्स
एम्स यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. एएस संधू ने जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान में इस तरह का यह पहला ट्रांसप्लांट है. एम्स में अब तक 52 सफल किडनी ट्रांसप्लांट हो चुके हैं. इसमें 48 मरीजों में परिवार के ही सदस्य ने किडनी डोनेट की. वहीं 4 मरीजों को कैडवर किडनी ट्रासप्लांट किया गया. एम्स में आयुष्मान योजना में ट्रांसप्लांट निशुल्क किया गया.जिस के चलते मरीज के परिजनों को किसी प्रकार का शुल्क नही देना पडा और वह दोनो स्वस्थ है.
यह टीम के सदस्य ऑपरेशन में रहे शामिल
एम्स यूरोलॉजी विभाग से डॉ. एएस संधू, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. महेन्द्र सिंह, एडिशनल प्रोफेसर डॉ. गौतमराम चौधरी, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिवचरण नावरिया, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दीपक भीरुड, प्रवीण और अतुल शामिल थे. नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. मनीष चतुर्वेदी, डॉ. राजेश जोरावट, एनेस्थिसिया विभाग से डॉ. प्रदीप भाटिया व डॉ. अंकुर शर्मा ने सहयोग किया.