मुनेश गुर्जर, ममता चौधरी के बाद इंदिरा हुईं 'आउट', झुंझुनूं में भजनलाल सरकार का एक ओर सियासी खेला
Rajasthan News: भाजपा राज में कांग्रेस के निर्वाचित जनप्रतिधियों को पदों से हटाने का दांव पेंच का दौर लगातार जारी है। पूर्व सरकारों के विश्वासपात्रों को हटाने और उनकी जगह अपनों को कुर्सी पर बिठाने के लिए उठापटक देखने को मिल रही है। राजस्थान में भी अब जिलों की शहरी और ग्रामीण सरकार प्रमुख का हटाने का खेला एक के बाद एक सामने आ रहा है।
बीते दिनों जयपुर हैरिटेज में मेयर मुनेश गुर्जर और दौसा नगरपरिषद सभापति ममता चौधरी आदि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को उनके पद से हटाने और उनकी जगह अपने दूसरे को लगाने की राजनैतिक घटनाक्रम हुआ था। हालांकि झुंझनूं नगरपरषिद सभापति नगमा बानों को भ्रष्टाचार के आरोप में हटाने को लेकर बीजेपी सफल नहीं हुई। नगमा इस मामले को लेकर कोर्ट में पहुंच गईं, जहां से उन्हें राहत मिली।
अब भजनलाल सरकार ने बड़े साइलेंट तरीके से सावधानी बरतते हुए झुंझुनूं जिले में एक ओर सियासी दांव चला है, जिसमें जिले के 10 दिसंबर 2022 को कांग्रेस सिंबल पर चिड़ावा प्रधान निर्वाचित हुई इंदिरा डूडी को भ्रष्टाचार की शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए निलंबित करने का आदेश जारी कुर्सी से हटा दिया है। इंदिरा के प्रधानी के कार्यकाल का सवा साल बाकी था।
चिड़ावा प्रधान इंदिरा को अचानक हटाना राजनीति गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। सरकार ने इस मामले में आदेश जारी करने से पहले किसी को भनक नहीं लगने दी। जैसा कि झुंझुनूं नगरपरिषद सभापति नगमा बानो के मामले में यूडीएच मंत्री के बयानों से कांग्रेस को संभालने का मौका मिला और सरकार कुछ कर पाती है उससे पहले नगमा ने कोर्ट की शरण लेकर अपनी कुर्सी बचा ली थी।
इधर, चिड़ावा में इंदिरा डूडी को तीन माह पहले प्रधान को कुर्सी बचाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी थी। हालांकि अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के कारण प्रधान की कुर्सी बच गई थी। लेकिन अब साइलेंट रूप से आए निलंबन आदेश से सियासी हलकों में तूफान ला दिया है।