चांद और सूरज के बाद अब पताल को खंगालने की तैयारी, जानें क्या है भारत का मिशन समुद्रयान
Samudraayan Mission: भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने चंद्रमा के कई रहस्यों से पर्दा उठाया है। इस मिशन की सफलता के कुछ दिन बाद ही आदित्य एल1 को सूर्य की कुंडली जांचने के लिए भेजा गया है। भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल1 15 लाख किलोमीटर के सफर पर आगे बढ़ रहा है। चांद और सूरज के बाद अब बारी है समुद्र की गहराई में छिपे रहस्यों को जानने की। इसके लिए भारत समुद्रयान मिशन की तैयारी कर रहा है।
6 किलोमीटर की गहराई तक जाएगा
समुद्रयान मिशन के तहत स्वदेशी पनडुब्बी मत्स्य 6000 तीन नाविकों को समुद्र में छह किलोमीटर की गहराई तक ले जाएगी। बताया जा रहा है कि समुद्रयान का पहला परीक्षण अगले साल की शुरुआत में किया जा सकता है।
किरेन रिजिजू ने शेयर की तस्वीरें
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को मानवयुक्त पनडुब्बी मत्स्य 6000 का निरीक्षण किया, जो मिशन समुद्रयान के तहत रहस्य का पता लगाने के लिए समुद्र की गहराई में गोता लगाएगी।
मानवयुक्त मिशन होगा समुद्रयान
रिजिजू ने इंटरनेट मीडिया 'एक्स' पर पोस्ट कर कहा- अब समुद्रयान की बारी। सबमर्सिबल मत्स्य 6000 का निर्माण चेन्नई के राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान में किया गया है। गहरे समुद्र में भारत के पहले मानवयुक्त मिशन समुद्रयान के तहत तीन नाविकों को समुद्र में छह किलोमीटर की गहराई तक भेजने की तैयारी की जा रही है. ये यात्री समुद्र के संसाधनों और जैव विविधता का अध्ययन करेंगे।
इसका उद्देश्य क्या है?
मिशन ले जाने वाला वाहन, मानवयुक्त पनडुब्बी मत्स्य-6000, निकेल, कोबाल्ट, दुर्लभ पृथ्वी तत्व, मैंगनीज आदि जैसे समृद्ध खनिज संसाधनों की खोज में गहरे समुद्र में मनुष्यों द्वारा प्रत्यक्ष अवलोकन की सुविधा प्रदान करेगा। इसके साथ ही, मिशन विभिन्न प्रकार का संग्रह करेगा नमूनों का उपयोग बाद में विश्लेषण किया जा सकता है।