राहुल का जनता के नाम पत्र: यात्रा ने मुझे सिखाया, हक की लड़ाई में कमजोरों की बनना है ढाल
नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि कुछ विभाजनकारी ताकतें देश की विविधता को देशवासियों के खिलाफ ही इस्तेमाल कर रही हैं, लेकिन नफरत की राजनीति ज्यादा दिनों तक नहीं चलने वाली है। राहुल ने यह यह टिप्पणी जनता के नाम संदेश नाम के एक पत्र में की है। यह पत्र कांग्रेस अपने हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के तहत वितरित करेगी। राहुल ने आर्थिक संकट, महंगाई, बेरोजगारी और किसानों से जुड़े मुद्दों का उल्लेख करते हुए पत्र में कहा, मैं संसद से लेकर सड़क तक हर दिन इन बुराइयों के खिलाफ लड़ूंगा।
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कांग्रेस हाथ से हाथ जोड़ो अभियान 26 जनवरी को शुरू करने वाली है। अभियान दो महीने तक चलेगा।कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, इस यात्रा ने मुझे आप सब के हक में लड़ने के लिए एक नई ताकत दी है। ये यात्रा मेरे लिए एक तपस्या थी। इस यात्रा ने मुझे सिखाया है कि हक की लड़ाई में कमजोरों की ढाल बनना है, जिनकी आवाज दवाई जा रही है, उनकी आवाज उठाना है।
जनता के नाम संदेश वाले इस पत्र में राहुल गांधी ने दावा किया, आज हमारी विविधता खतरे में है। एक धर्म को दूसरे धर्म से, एक जाति को दूसरी जाति से, एक भाषा को दूसरी भाषा से और एक राज्य को दूसरे राज्य से लड़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा,ये विभाजनकारी ताकतें जानती हैं कि वो लोगों के दिल में असुरक्षा और डर पैदा करके ही समाज में नफरत का बीज बो सकती हैं। लेकिन इस यात्रा के बाद मुझे विश्वास हो गया है कि नफरत की राजनीति की अपनी सीमाएं हैं और वो ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकती।
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कांग्स का आरोप: टकराव की भूमि का तैयार करने का खेल
कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा न्यायपालिका की परोक्ष रूप से आलोचना किए जाने को लेकर शुक्रवार को उन पर फिर निशाना साधा और दावा किया कि एक उच्च संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति का एक संवैधानिक संस्था पर हमला करना न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव की भूमिका तैयार करने के खेल का हिस्सा है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के उस कथन का हवाला भी दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि संविधान सर्वोच्च है। रमेश ने यहां संवाददाताओं से कहा, यह स्पष्ट रूप से सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव की भूमिका तैयार करना है। अलग-अलग आवाजें उठाई जा रही हैं। मुझे लगता है कि लोकतंत्र खतरे में है।
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यह टकराव पैदा करने के खेल का हिस्सा है। उन्होंने यह भी कहा, ‘केशवानंद भारती मामले के फैसले को करीब 50 साल हो चुके हैं। हमने अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और अरुण जेटली को इस फैसले की तारीफ करते सुना।…अब एक संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति दूसरी संवैधानिक संस्था पर हमला कर कर रहा है। यह अभूतपूर्व स्थिति है।