ISRO ने रचा इतिहास, सोलर मिशन आदित्य-L1 लैग्रेंज पॉइंट पर पहुंचा, PM मोदी ने दी बधाई
नई दिल्ली। इसरो ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। इसरो का मिशन सूरज पर निकला सैटेलाइट आदित्य-L1 स्पेसक्राफ्ट अपनी मंजिल पर पहुंच चुका है। सैटेलाइट आदित्य-L1 ने 126 दिनों में 15 लाख किमी की दूरी तय करने के बाद आज यानी 6 जनवरी को सन-अर्थ लैग्रेंज पॉइंट 1 (L1) पर पहुंच गया है। इसके साथ ही भारत ने नए साल में अंतरिक्ष की दुनिया में एक और नई कामयाबी हासिल कर ली है। पीएम नरेंद्र मोदी ने आदित्य-L1 के हेलो ऑर्बिट में एंट्री करने की देशवासियों को बधाई देते हुए एक्स पर पोस्ट शेयर की है। ये मिशन 5 साल का होगा।
पीएम मोदी ने देशवासियों को दी बधाई…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा है कि भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंची। पीएम मोदी ने आगे लिखा है कि यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।
धरती से 15 लाख किमी दूर…
यान को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के 'लैग्रेंज प्वाइंट 1' (एल 1) के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा था कि आदित्य एल-1 शनिवार को अपराह्न चार बजे एल1 प्वाइंट पर पहुंचेगा। एल1 प्वाइंट पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है और इस स्थान से सूर्य की दूरी भी 15 लाख किलोमीटर ही है। आदित्य एल1 उपग्रह को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पिछले वर्ष 2 सितंबर को प्रक्षेपित किया गया था।
क्या है मुख्य उद्देश्य…
अधिकारियों के मुताबिक, लैग्रेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में L1 नाम से जाना जाता है। सूर्य मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है।
बता दें कि इसरो ने आदित्य L1 को 2 सितंबर को PSLV-C57 के XL वर्जन रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। लॉन्चिंग के 63 मिनट 19 सेकेंड बाद स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी की 235 किमी x 19500 किमी की कक्षा में स्थापित कर दिया था। इसके अगले दिन यानी 3 सितंबर को इसरो के वैज्ञानिकों ने आदित्य L1 की ऑर्बिट बढ़ाई थी। उसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 245 किमी, जबकि सबसे ज्यादा दूरी 22,459 किमी हो गई थी। दो दिन बाद यानी 5 सितंबर की रात आदित्य L1 स्पेसक्रॉफ्ट की ऑर्बिट दूसरी बार बढ़ाई गई थी। उसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 282 किमी, जबकि सबसे ज्यादा दूरी 40,225 किमी हो गई। इसरो ने 10 सितंबर को रात करीब 2.30 बजे तीसरी बार आदित्य L1 की ऑर्बिट बढ़ाई थी। उसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 296 किमी, जबकि सबसे ज्यादा दूरी 71,767 किमी हो गई। इसरो ने 15 सितंबर की रात चौथी बार आदित्य L1 की ऑर्बिट बढ़ाई थी। उसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 256 किमी, जबकि सबसे ज्यादा दूरी 1,21,973 किमी हो गई।