दुनिया की सबसे बड़ी घंटी लगाने का सपना टूटा! 35 फीट की ऊंचाई से गिरकर मजदूर और इंजीनियर की मौत
कोटा। राजस्थान के कोटा से बड़ी खबर सामने आई है। यहां रिवर फ्रंट पर दुनिया की सबसे बड़ी घंटी को मॉडल बॉक्स से निकालने के दौरान बड़ा हादसा हो गया। मॉडल बॉक्स पर चढे कांस्टिंग इंजीनियर देवेन्द्र आर्य और उनके साथी मजदूर की 35 फीट ऊंचाई से नीचे गिर गए। हादसे की सूचना के बाद अधिकारी मौके पर पहुंचे और दोनों को कोटा के तलवंडी स्थित निजी अस्पताल ले जाया गया है। जहां इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गई।
बैलेंस बिगड़ने से नीचे गिरे दोनों…
कुन्हाड़ी थानाधिकारी महेंद्र कुमार ने बताया कि मौके पर मौजूद इंजीनियर देवेन्द्र आर्य और अन्य मजदूरों द्वारा मॉडल बॉक्स से हाइड्रोलिक क्रेन की मदद से घंटी को बाहर निकालने का काम किया जा रहा था। इसी दौरान सबसे ऊपर वाला गार्डर हाइड्रोलिक क्रेन से टच होते ही खिसक गया और गार्डर के तीन टुकड़े हो गए। इसी दौरान इंजीनियर देवन्द्र और मजदूर छोटू का संतुलन बिगड गया और दोनों 35 फीट की ऊंचाई से नीचे गिर गए। गंभीर चोट लगने की वजह से दोनो की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि इसी महीने घंटी को सांचे से बाहर निकालना था। इस दौरान सबसे ऊपर वाला गार्डर (लोहे का जॉइंट) हाइड्रोलिक मशीन से टच होते ही खिसक गया और कई टुकड़ों में टूट गया।
लोहे का गार्डर गिरते ही दोनों का बैलेंस बिगड़ गया और 35 फीट की ऊंचाई से नीचे गिर गए। 35 फीट की ऊंचाई से गिरने से दोनों के सिर और हाथ-पैरों पर गंभीर चोट आई थी। हादसे में छोटू की अस्पताल ले जाते ही और इंजीनियर की इलाज के दौरान शाम 5 बजे मौत हो गई है। बता दें कि घंटी मोल्ड बॉक्स के सांचे में है और इसे इसी महीने निकालना था।
विवाद के बाद आर्य को फिर से बुलाया था…
बता दें कि 79 हजार किलो वजनी दुनिया की सबसे बड़ी घंटी को सांचे से बाहर निकालने का काम इसी महीने फिर से शुरू किया गया था। यूआईटी और ठेकेदार ने इसके लिए सांचे में ढालने वाले इंजीनियर देवेंद्र आर्य को 3 नवंबर को बुलाया था। इससे पहले 80 दिनों तक यूआईटी और ठेकेदार ने घंटी को निकालने की कोशिश की थी। जब वे सफल नहीं हो पाए तो फिर से देवेंद्र आर्य को बुलाया गया था। जिसके बाद इसे सांचे से निकालने का काम शुरू कर दिया गया था। गौरतलब है कि दुनिया की सबसे बड़ी घंटी की ढलाई देवेंद्र आर्य ने रिवर फ्रंट पर अस्थाई फैक्ट्री लगाकर की थी।
बता दें कि 17 अगस्त को 79 हजार किलो वजनी घंटी का सांचे में ढाल दिया गया था, लेकिन बाद में श्रेय लेने की होड़ में आर्किटेक्ट अनूप और आर्य के बीच विवाद हो गया था। देवेंद्र आर्य बिना सांचे से घंटी को निकाले ही लौट गए थे। देवेंद्र आर्य ने दावा किया था कि घंटी की ढलाई के दौरान जिन कैमिकल का इस्तेमाल उन्होंने किया था, उनमें रिएक्शन करवाने के बाद ही घंटी को निकाला जाएगा। इसकी जानकारी उनके अलावा किसी के पास नहीं है।