Jaipur Big Breaking: सांगानेर की 800 फेक्ट्रियां होगी बंद, कोर्ट ने दिए सीज कर कुर्क करने के आदेश, जानिए पूरा मामला
Jaipur Sanganer Textile Factories : जयपुर कि कॉमर्शियल कोर्ट संख्या 1 ने सांगानेर स्थित 800 से अधिक टेक्सटाईल फेक्ट्रियों को सीज कर उनकी कुर्की करने के आदेश दिए है. ये आदेश सांगानेर में इन फेक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषित अपशिष्ट का निष्पादन करने के लिए सीईटीपी प्लांट बनाने वाली कंपनी कि ओर से दायर एक्जीक्यूशन पीटीशन पर दिए है.
कॉमर्शियल कोर्ट ने राजस्थान सरकार को भी मौका दिया है कि वह पॉल्यूटर पे के नियम के अनुसार कंपनी को जारी कि गयी अवार्ड की राशि का भुगतान करे और बाद में इस राशि की वसूली फेक्ट्री संचालको से वसूल करें.
तीन माह में कंपनी को अवार्ड राशि का भुगतान नही होने पर कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि जितने भी फेक्ट्री मालिक है उन सभी की चल—अचल संपंति को अटैच कर सीज करने के साथ ही उनकी कुर्की कर वसूली की जाए.
कोर्ट ने इसके लिए कोर्ट के अधिकृत अधिकारी की मौजूदगी में चल अचल संपंतियों की खुली निलामी कर वसूली करने के आदेश दिये है.
कोर्ट के आदेश की पालना कराने के लिए अदालत ने पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और जयपुर जिला कलेक्टर आवश्यक सभी संसाधन मुहैया कराने के आदेश दिए है.
सीईटीपी प्लांट बनाने वाली कंपनी मैसर्स एडवेन्ट इनवारोकेयर टेक्नोलॉजी प्राईवेट लिमिटेड ने प्लांट के निर्माण के सालो बाद भी टेंडर राशि का भूगतान नहीं करने पर ये एक्जीक्यूशन पीटीशन गांधीनगर स्थित कॉमर्शियल कोर्ट में दायर कि थी. जिसे गांधीनगर कोर्ट ने जयपुर कि कॉमर्शियल कोर्ट संख्या 1 को ट्रांसफर किया.
जयपुर कॉमर्शियल कोर्ट संख्या 1 के जज जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार गुप्ता ने मामले में ट्रीटमेंट प्लांट बनाने वाली कंपनी के साथ ही फेक्ट्री मालिकों की ओर से बनायी गयी कंपनी और आपत्तिकर्ताओं की बहस सुनने के बाद ये फैसला सुनाया है.
कोर्ट ने जयपुर पुलिस कमिश्नर को आदेश दिए है कि वह कोर्ट के आदेश कि पालना के लिए जब भी कोर्ट अधिकारी द्वारा पुलिस सहायता कि आवश्यक्ता की मांग करे, तो वो आवश्यक पुलिस सहायता उपलब्ध करायेंगे.
कोर्ट में पेश किया झुठा हलफनामा, अवमानना नोटिस
जयपुर की कॉमर्शियल कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान गलत हलफनामा पेश करने वाले एसईपीडी कंपनी के डायरेक्टर राजेन्द्र कुमार जिंदगर को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
अदालत ने नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई कि जाए क्योंकि उन्होने कोर्ट में अपने हलफनामें में ये गलत जानकारी दी कि ट्रीटमेंट प्लांट पूर्ण रूप से कार्य कर रहा हैं.
निरीक्षण करने वाले अधिकारियों को भी नोटिस
अदालत ने ट्रीटमेंट प्लांट का अलग अलग समय पर निरीक्षण करने की रिपोर्ट में गलत तथ्य पेश करने के लिए रिजनल आफिसर नीरज शर्मा, एसओं विमल पोसवाल और जेईई रामस्वरूप चौधरी को भी नोटिस जारी किया हैं.
अदालत ने तीनो अधिकारियों को नोटिस मिलने से 15 दिन की अवधि में ये जवाब देना होगा कि उन्होने अदालत में पेश किए हलफनामें में गलत जानकारी क्यों दी.
अदालत ने इस आदेश की एक प्रति राज्य के मुख्य सचिव, जयपुर जिला कलेक्टर, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के रिजनल आफिसर और जेडीए आयुक्त को भेजकर 1 मार्च तक कोर्ट में एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए है.
ये है मामला
जयपुर के सांगानेर में Sanganer Kapda Rangai Chapai Association (SKRCA) ने कपड़ा फेक्ट्रियों से निकलने वाले अपशिष्ट के शोधन के लिए सभी फेक्ट्रियों के लिए संयुक्त रूप से Common Effluent Treatment Plant (CETP) निर्माण के लिए टेंडर जारी किया. इसके लिए 12.3 एलएलडी के ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 22 मई 2015 को टेंडर जारी किया गया.
गुजरात के गांधीनगर स्थित मैसर्स एडवेन्ट इनवारोकेयर टेक्नोलॉजी प्राईवेट लिमिटेड कंपनी इस टेंडर को हासिल करने में सफल रहीं.
24 जुलाई 2015 कों SKRCA और एडवेन्ट इनवारोकेयर टेक्नोलॉजी के बीच ट्रीटमेंट प्लांट के लिए समझौता हुआ.
समझौते के बाद इस प्लांट के लिए केन्द्र और राज्य सरकार से फंड हासिल करने के लिए एक Special Purpose Vehicle (SPV) का गठन किया जाना जरूरी थी.
Special Purpose Vehicle (SPV) के लिए Sanganer Kapda Rangai Chapai Association ने इसके लिए Sanganer Enviro Project Development यानी SEPD कंपनी का गठन किया.
इस कंपनी को पूरी तरह से SKRCA और Sanganer Pradushan Niwaran Samiti के सदस्यों के द्वारा बनाया गया था जिसमें करीब 800 फेक्ट्री संचालक शामिल थे.
ट्रीटमेंट प्लांट के लिए भूमि का आवंटन जयपुर विकास प्राधिकरण कि ओर से समिति के ना पर किया गया. इस समिति में टेक्सटाईल फेक्ट्री संचालको के साथ ही जयपुर जिला कलेक्टर भी शामिल थे.
समझौते के अनुसार मैसर्स एडवेन्ट इनवारोकेयर टेक्नोलॉजी कंपनी ने समय पर ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर तैयार कर लिया, लेकिन प्लांट पर हुए खर्च का कंपनी को भुगतान नहीं किया गया.
भूगतान नहीं होने पर कंपनी ने गांधीनगर में 12 अगस्त 2019 को प्लांट निर्माता कंपनी ने MSME-D Act, 2006 के तहत बकाया 33 करोड़ की रिकवरी के लिए गांधीनगर की कोर्ट में क्लेम दायर किया.
12 अक्टूबर 2021 को गांधीनगर के प्रिसिपल जज की अदालत ने एडवेंट कंपनी के पक्ष में फैसला देते हुए मूल राशि 33 करोड़ के साथ ही ब्याज देने के आदेश दिए.
सांगानेर के फेक्ट्री संचालकों ने इस अवार्ड आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिकाए खारिज करते हुए अवार्ड को उचित ठकराया.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक्जीक्यूशन के लिए कंपनी ने जयपुर कॉमर्शियल कोर्ट में पिटिशन दायर की, जिस जज दिनेश कुमार गुप्ता ने अपना फैसला सुनाया हैं