भीलवाड़ा में ओले गिरने से 80 भेड़ें मरी, भेड़ पालक ने एक दिन पहले ही उतारी थी भेड़ों की ऊन
भीलवाड़ा। राजस्थान में रविवार को मौसम का मिजाज ऐसा बिगड़ा कि किसानों को भारी नुकसान हो गया। प्रदेश के कई इलाकों में रविवार रात को मौसम ने जबर्दस्त तरीके से करवट बदली। वहीं भीलवाड़ा के बिजौलिया क्षेत्र के तीखी के वन क्षेत्र में रविवार रात हुई बारिश के साथ ओले गिरने से करीब 80 से ज्यादा भेड़ों की मौत हो गई। वहीं 60 से ज्यादा भेड़ें गंभीर बीमार हो गई है।
सूचना पर मौके पर पहुंची पशु चिकित्सक की टीम ने बीमार भेड़ों का उपचार किया। वहीं मृत भेड़ों का पोस्टमार्टम किया। मारवाड़ क्षेत्र से बिजौलिया के मैदानी इलाकों में आए भेड़ पालकों ने एक दिन पहले ही भेड़ों के शरीर से ऊन को काटकर अलग किया था। इस वजह से कड़ाके की ठंड और मावठ में ओले गिरने को भेड़ें सहन नहीं कर पाई।
पीड़ित भेड़ पालक ने बताया कि मारवाड़ क्षेत्र से 6 भेड़ पालकों की टीमो में करीब 2 हजार भेड़ें बिजौलिया क्षेत्र में लाई गई है। एक दिन पहले ही मौसम साफ होने से सभी भेड़ों से ऊन अलग की गई थी। बीती रात अचानक बारिश का दौर शुरू हुआ। कुछ देर के लिए ओले भी गिरे। सुबह देखा तो बहुत सारी भेड़ें मरी हुई हैं। वहीं कुछ ठंड से बीमार होकर पस्त हो गई। इतनी बड़ी संख्या में भेड़ों के मरने से सभी पशु पालक निराश हैं।
वहीं पशु चिकित्सक और नोडल अधिकारी डॉक्टर ने बताया की मावठ में ओले गिरने से भेड़ों की मौत होने की संभावना है। भेड़ों के शरीर से ऊन अलग करने से ठंड के चलते उनकी मौत हुई है। इनके शरीर पर अगर ऊन होती तो शायद भेड़ें बच सकती थी। फिलहाल चिकित्सकों की टीम ने मृत भेड़ों का पोस्टमॉर्टम किया है। बीमार हुई भेड़ों को मौके पर उपचार दिया गया है।
बारिश के बाद 9 बजे तक चारों ओर कोहरा छाया
बता दें कि बिजौलिया क्षेत्र में बारिश होने से शीतलहर ने तापमान में फिर से गिरावट ला दी है। बीती रात बादलों की गरज के साथ जमकर बादल बरसे। सोमवार सुबह 9 बजे तक चारों ओर कोहरा छाया रहा। रात का पारा गिरकर 7 डिग्री पर पहुंच गया है। क्षेत्र में बादल छाए रहे। तहसील हेडक्वार्टर में लगे वर्षा मापी यंत्र से बीते 24 घंटों में 16 एमएम बारिश दर्ज हुई है।
मावठ से कहीं खुशी तो कहीं गम
वहीं सर्दी की पहली बरसात से ब्लॉक के कुछ किसानों के चेहरे खुशी से खिले हुए दिखे। खेतों में खड़ी रबी की फसल सरसों, चना, गेंहू और जौ को बीती रात हुई बारिश से काफी हद तक फायदा पहुंचा है। वहीं कुछ किसानों ने सरसों की फसल को काटकर खेतों में डाल रखा था। कटी हुई फसल में पानी जाने से सरसों के दाने खराब हो गए। जिससे कुछ किसानों के चेहरे गम में मुरझाए हुए नजर आए।