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गहलोत सरकार की 5 योजनाएं जो 2023 में बदल सकती है राजस्थान का ‘रिवाज’

03:28 PM Jan 05, 2023 IST | Jyoti sharma
गहलोत सरकार की 5 योजनाएं जो 2023 में बदल सकती है राजस्थान का ‘रिवाज’

राजस्थान में अगले ही साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव हैं। इसके लिए कांग्रेस ने अपनी कमर कसनी शुरू कर दी है। खुद सीएम गहलोत इसके लिए प्रचार में जुट गए हैं। अपनी सभाओं में वे सरकार की उपलब्धियां गिनाते रहते हैं। सरकार की मुख्य योजनाएं जो प्रदेश में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हो रही हैं, वे पूरे देश में सिर्फ राजस्थान में ही लागू हैं। इन योजनाओं को लेकर कहा जा रहा है कि ये साल 2023 के विधानसभा चुनाव में राजस्थान का रिवाज बदल सकती हैं। हम आपको यहां उन 5 योजनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जो राजस्थान में कांग्रेस को एक बार फिर से सत्ता तक पहुंचा सकती है, अगर ऐसा होता है तो यह राजस्थान की राजनीति के इतिहास में सबसे बड़ा बदलाव होगा।

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1- मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना

राजस्थान की मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना अपनी तरह की देश में पहली योजना है। इस योजना में राजस्थान के नागरिकों को 10 लाख रुपए तक का बीमा कवर दिया जा रहा है यानी उनका फ्री इलाज किया जा रहा है। एक आंकड़े के मुताबिक अब तक इस योजना की 2 हजार 200 करोड़ की राशि से करीब 18 लाख लोगों का इलाज किया जा चुका है। कई ऐसे वीडियो भी सामने आए हैं जिसमें इस योजना के लाभार्थियों ने इस योजना को लेकर सकारात्मक फीडबैक दिया है। बता दें कि सरकार ने तो अब कई गंभीर बीमारियों के इलाज भी फ्री कर दिया है, जिनका इलाज कभी गरीबों के लिए बहुत मुश्किल हुआ करता था। बता दें कि चिरंजीवी में करीब 1597 बीमारियों के इलाज को कवर दिया गया है, इनमें कुछ गंभीर बीमारियां भी शामिल हैं। इनमें कैंसर में काम आने वाली पेट स्कीन, न्यूरो सर्जरी, हॉर्ट सर्जरी, किडनी ट्रांस्प्लांट, नी ट्रांसप्लांट समेत कई अंगों का प्रत्यारोपण भी इस बीमा योजना में शामिल है।

2- इंदिरा रसोई योजना

राजस्थान में चिरंजीवी के बाद जिस योजना की सबसे ज्यादा चर्चा है वो है इंदिरा रसोई। मजह 8 रुपए में सम्मानजनक तरीके से पौष्टिक भोजन इस रसोई में जरूरतमंद लोगों के दिया जा रहा है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में कोई भूखा न सोए के गहलोत सरकार के संकल्प को चरितार्थ करना है। इंदिरा रसोई के भोजन के गुणवत्ता में कोई कमी न आए, वह बेहतर से और बेहतर हो, इसके लिए सरकार ने मंत्रियों और अधिकारियों को रसोई का औचक निरीक्षण कर वहां पर महीने में एक बार भोजन के लिए निर्देशित किया है। आपको बता दें कि इंदिरा रसोई के भोजन की गुणवत्ता को देखते हुए बड़े-बड़े संपन्न लोग भी इस रसोई का भोजन अब चख रहे हैं और अपना फीडबैक सोशल मीडिया के जरिए दे रहे हैं।

यही नहीं हाल ही में ऑस्ट्रेलिया से आए पर्यटकों ने भी इंदिरा रसोई में खाना खाया था। उन्होंने एक इंदिरा रसोई और इसमें परोसे जा रहे भोजन की जमकर तारीफ की थी, यहां तक कि उन्होंने महज 8 रुपए में दिए जा रहे भोजन की पौष्टिकता को लेकर भी सराहना की थी। बता दें कि पूरे राजस्थान में अब तक 870 इंदिरा रसोई संचालित हो रही हैं, अब इनकी संख्या 1000 करने में सरकार काम कर रही है। इंदिरा रसोई में गरीब और जरूरतमंद लोगों को 2 वक्त का भोजन दिया जा रहा है। इस पौष्टिकता से भरी थाली 100 ग्राम दाल, सौ ग्राम सब्जी और 250 ग्राम आटे से बनी दो रोटी दी जाती है। एक आंकड़े के मुताबिक इंदिरा रसोई प्रदेश के करीब 40 हजार जरूरतमंदों का पेट भर रही है।

3- शहरी रोजगार गारंटी योजना

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने महात्मा गांधी नरेगा की तर्ज पर राजस्थान में शहरी गरीबों के लिए 100 दिन की रोजगार गारंटी योजना चलाई है। पूरे देश में शहरी गरीबों के लिए इस तरह की य़ोजना अपने आप में पहली ही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य में शहर में रह रहे गरीबों को एक रोजगार से जोड़ना है। बता दें कि अब तक इस योजना के तहत ढाई लाख जॉब कार्ड बने हैं। इस योजना के लिए सालाना 800 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इस योजना के बाद से शहर में रहकर परिवार का पेट पाल रहे गरीब लोगों को एक सौगात मिली है कि वे सम्मान से अपनी मेहनत की कमाई से घर चला सकेंगे।

4- गांवों में अंग्रेजी मीडियम स्कूल

गहलोत सरकार सिर्फ बड़ों की ही नहीं बच्चे और छात्रों के हित का भी ध्यान रख रही है। गांव में रहने वाले बच्चे भी अंग्रेजी सीख सके इसके लिए कांग्रेस सरकार ने गांव-गांव में अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोल दिए हैं। सरकार के इस कदम की भी चारों ओर चर्चा है। वजह यह कि आज के समय में अंग्रेजी भाषा में पकड़ एक अनिवार्यता हो गई है। रोजगार के किसी भी क्षेत्र में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग हो रहा है इस प्रयोग में गांव के बच्चे कहीं पिछड़ न जाएं..कहीं इनके भविष्य पर इसका असर न पड़े। इसके लिए उन्हें अंग्रेजी में शिक्षा देने का बीड़ा उठाया गया है। शहरों में ते गली-गली अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खुले हुए हैं। हालांकि उनकी मोटी फीस सुनकर तो शहरी लोग भी अपने बच्चों का एडमिशन वहां नहीं करा पा रहे हैं। ऐसे में गांवों में सरकारी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोलना एक बेहतरीन कदम है। बता दें कि अब तक पूरे राजस्थान में 1670 अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोले जा चुके हैं।

5- ओल्ड पेँशन स्कीम ( OPS )

राजस्थान में जिस योजना की सबसे ज्यादा चर्चा है और उसे अगले विधानसभा चुनाव में जिताऊ स्ट्रोक माना जा रहा है वह है ओल्ड पेंशन स्कीम। हिमाचल प्रदेश में मिली कांग्रेस को बंपर जीत के पीछे ओपीएस को सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। पुरानी पेंशन योजना जब राजस्थान में लागू हुई तो रिटायर्ड कर्मचारियों ने गहलोत सरकार के इस फैसले का स्वागत किया था। चुनाव से जोड़कर इस योजना को इसलिए देखा जा रहा है कि कर्मचारी एक बड़ा वोटबैंक होता है। राजस्थान में करीब 7 लाख कर्मचारी है। जिनमें से डेढ़ लाख कर्मचारियों को ओपीएस का लाभ मिला है।

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